चूरू : हैंडीक्राफ्ट की मांग, फिर भी नए उद्योग नहीं
जिले में हैंडीक्राफ्ट, मसाले व दाल के उद्योग ही संचालित हैं। जिले में निर्मित हैंडीक्राफ्ट आइटम की देश के बड़े शहरों सहित विदेशों में काफी मांग है। यहां से ग्वार गम दूसरे जिले व राज्य में भेजा जाता है। सरदारशहर, सुजानगढ़, बिदासर में मूंगफली की अच्छी पैदावार होती है। मूंगफली का तेल व फर्नेस आयल निकालने से संबंधित फैक्ट्रियां लगाए जाने की कवायद जारी है।
झुंझुनंू : सीमेंट फैक्ट्री लगे तो मिले रोजगार
जिले में तेल मिल, दाल मिल व अन्य छोटे उद्योग है। यहां सीमेंट उद्योग व तांबा उद्योग के लिए कच्चा माल प्रचुर मात्रा में है। तांबा के अयस्क दूसरे राज्यों में जा रहे हैं। यहां खेतड़ी कॉपर कॉप्लेक्स है। सीमेंट के प्लांट लगाने की सम्भावना ज्यादा है। राज्य सरकार की निवेश प्रोत्साहन योजना में कई बार नवलगढ़ इलाके में प्रस्तावित इकाइयों का जिक्र भी किया जा चुका है। सीमेंट फैक्ट्री खुलने से स्थानीय स्तर पर रोजगार का सपना पूरा हो सकता है।
सीकर: शेखावाटी की 60 फीसदी खनिज सम्पदा हमारे पास
शेखावाटी की कुल खनिज सम्पदा का 40 फीसदी हिस्सा सीकर जिले के पास है। ज्यादातर खनिज सम्पदा नीमकाथाना की 40 किलोमीटर की परिधि में केंद्रित है। नीमकाथाना, अजीतगढ़, अजमेरी, हरिपुरा जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में खनिज फेल्सपार को पीसने वाली 200 से अधिक लघु औद्योगिक इकाई स्थापित हैं। क्षेत्र में 200 से अधित खनिज की खदानें हैं। जिनसे 15-20 लाख टन खनिज प्रतिवर्ष निकलता है। इस खनिज में से कुछ खनिज तो लघु इकाइयों द्वारा प्रयुक्त किया जाता है, लेकिन बड़ी मात्रा गुजरात भेज दी जाती है।
गुजरात व महाराष्ट्र जाता है लोह अयस्क
नीमकाथाना के बागोली, नारदा, नानगवास, तोंदा, जमालपुरा, दुदवा आदि इलाकों में लोह अयस्क की कई खाने हैं। जिनका खनिज गुजरात, महाराष्ट्र में निर्गमित किया जाता है। खनिज चेजा पत्थर की भी 250 से अधिक खाने हैं। जिनका माल क्रेसर से गिट्टी बनाकर दिल्ली सहित अन्य राज्यों में भेजा जाता है। यहां 50 से अधिक क्रेसर उद्योग क्रियाशील है। क्षेत्र में 40 लाख टन से अधिक चेजा पत्थर का उत्पादन हो रहा है।
सरकार करें पहल तो हमारी उम्मीदों को लगे पंख
-नीमकाथाना के आसपास प्रचुर औद्योगिक कच्चा माल फेल्सपार, आयरन ओर आदि उपलब्ध, लेकिन गैस लाइन नहीं होने से एक भी बड़ा उद्योग नहीं। कच्चा माल यहां से गुजरात जाने से पूरा फायदा गुजरात को मिल रहा है।
-नई औद्योगिक इकाइयों को प्रोत्साहित करने के लिए बिजली व पानी की दरों में सब्सिडी की दरकार।
-जमीन आवंटन की दरों में शिथिलन।
-औद्योगिक इकाइयों में सोलर लगाने पर अनुदान।-भूमि रूपान्तरण व निवेशकों को एकमुश्त लोन की सुविधा मिले।
-नए रीको क्षेत्र की स्थापना हो।
-जिस कंपनी के पास औद्योगिक विकास का प्लान तैयार होए उसी को भूमि आवंटित की जाए।-सरकार यहां सर्वे कराकर जहां जिस क्षेत्र में संभावना हो उनसे जुड़े उद्यमियों को आमंत्रित कर जमीन आवंटन सहित अन्य सुविधाओं पर दे छूट।
-शेखावाटी के तीनों जिलों में रेल कनेक्टिविटी बढ़़ानी होगी।-भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है। नहर योजना से जोडऩे का काम भी शुरू हो।
फैक्ट फाइल
फेल्सपार : 54 माइंस, औसत उत्पादन 444512 टन
चेजा पत्थर : 318 माइंस, औसत उत्पादन 10,937,566 टन
आयरन ओर : 3 माइंस, उत्पादन 9926 टन
दिल्ली-जयपुर से नजदीक, फिर भी नहीं खुल रही राहें
सीकर जिला दिल्ली व जयपुर के काफी नजदीक है। ऐसे में यहां डेयरी उद्योग व फूड प्रोसेसिंग यूनिट की काफी संभावना है। एक्सपर्ट का कहना है कि सरकार को इस दिशा में पहल करनी चाहिए। इन दोनों सेक्टरों में निवेश को प्रोत्साहित करने से यहां के आठ हजार से अधिक लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिल सकता है।
एक्सपर्ट व्यू : ...तो शेखावाटी में आएंगे हर साल 25 हजार करोड़
नीमकाथाना इलाका टाइल्स हब बन सकता है। यहां कच्चा माल काफी मात्रा में है। इससे शेखावाटी में हर साल 25 हजार करोड़ रुपए का कारोबार हो सकेगा। उद्यमियों को सस्ती दर पर भूखंड आवंटित कराने चाहिए। जिससे नई इकाइयां शुरू हो सके। सीमेंट फैक्ट्री के लिए भी शेखावाटी में पर्याप्त कच्चा माल है। यदि यहां नए रोजगार शुरू होते हैं तो शुरुआती चरण में 70 से 80 हजार लोगों को आसानी से रोजगार मिल सकता है।
दौलतराम गोयल, संरक्षक, मिनरल एसोसिएशन, सीकर