गुरु पूर्णिमा का महत्व ( Importance of Guru Purnima )
पूर्णिमा को ऋषि परासर और सत्यवती के घर महाभारत के रचयिता कृष्णा-द्विपयण व्यास का जन्म हुआ था। इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। ऋषि व्यास वैदिक स्तोत्र को इकट्ठा कर वैदिक अध्ययन करते थे। बाद में उन्हें संस्कार व अभिलक्षण के आधार पर चार हिस्सों में बांट दिया। इन्हें ही ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद का नाम दिया गया। परंपरागत तौर पर बुद्ध को मानने वाले इस पर्व को भगवान बुद्ध की याद में मनाते हैं। माना जाता है कि वाराणसी के सारनाथ में उन्होंने अपने शिष्यों को पहला उपदेश दिया था।
सूतक में होगा दान-धर्म ( lunar eclipse 2019 )
पूर्णिमा पर सुबह मंदिरों में धार्मिक आयोजन होंगे। भगवान सत्यानारायण की कथा की जाएगी। मंगलवारी पूर्णिमा होने से हनुमान जी मंदिरों सहित सभी मंदिरों में धार्मिक आयोजन होंगे। शाम को ग्रहण के सूतक लगने पर दान-धर्म किया जाएगा। ग्रहण के शुद्ध होने पर तीर्थ स्थलों पर स्नान के लिए भीड़ रहेगी।
शिवालय में होने लगी तैयारियां
गुरु पूर्णिमा के साथ ही भगवान शिव का प्रिय महीना सावन शुरू हो जाएगा। इस बार पूरे 30 दिन का सावन है। इस माह में चार सोमवार आएंगे। तीसरे सोमवार को त्रियोग का संयोग बन रहा है जो विशेष फलदायी होगा। इसके अलावा भी सांवन मास में कई विशेष शुभ संयोग बनेंगे। यही नहीं 125 सालों बाद हरियाली अमावस्या पर इस बार पंच महायोग का संयोग बन रहा है। सावन मास को देखते हुए लोहार्गल में कावडिय़ों की सेवा के लिए लगाए जाने वाले शिविरों की तैयारियां शुरू हो गई है। शहर के नीलकंठ महादेव, पशुपतिनाथ, बैजनाथ धाम, तारकेश्वर, भूतनाथ, दारिद्र भंजन महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना के आयोजन होंगे। पं. दिनेश मिश्रा ने बताया कि 17 जुलाई को सूर्य प्रधान उत्तराषाढ़ा नक्षत्र से सावन माह की शुरुआत हो रही है। इस दिन वज्र और विष कुंभ योग भी बन रहा है। यह नक्षत्र खंड वर्षा के संकेत दे रहे हैं। 22 जुलाई को शुक्र ग्रह अस्त हो रहा है, जो 22 सितंबर तक रहेगा. इस दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य करना निषेध है।
सोमवार को नागपंचमी, स्वतंत्रता दिवस को राखी
नागपंचमी का पर्व भगवान शिव के विशेष दिन सोमवार को आ रहा है। सोमवार और नागपंचमी दोनों ही दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है। वहीं कई वर्ष बाद स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व है।