चांद की रोशनी में किया अमृत पान
सीकर शहर में भी शरद पूर्णिमा का पर्व रविवार को आस्था व उल्लास से मनाया गया। घर से लेकर मंदिरों तक में दिनभर पूजा अर्चना के कार्यक्रम हुए। शास्त्रानुसार भगवान को खीर का प्रसाद चढ़ाकर चांद की रोशनी में अमृतपान किया गया।
मंदिरों में निशान पद यात्रा, सुंदरकांड और भक्ति गीतों का उल्लास छाया रहा। पूर्णिमा के साथ अश्विन मास की समाप्ति और कार्तिक के पवित्र महीने की शुरुआत भी हो गई। इसमें महीनेभर के उपवास के साथ तीर्थ स्थलों पर स्नान,ध्यान और दान का सिलसिला जारी रहेगा। करवा चौथ के साथ दिवाली का पांच दिवसीय महोत्सव भी इसी महीने में शामिल होगा। पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि कार्तिक मास का पुण्यकाल शरद पूर्णिमा से ही शुरू हो जाता है। यह एक महिना धर्म और धन वृद्धि के साथ दान के लिहाज से श्रेष्ठ माना जाता है।
सीकर शहर में भी शरद पूर्णिमा का पर्व रविवार को आस्था व उल्लास से मनाया गया। घर से लेकर मंदिरों तक में दिनभर पूजा अर्चना के कार्यक्रम हुए। शास्त्रानुसार भगवान को खीर का प्रसाद चढ़ाकर चांद की रोशनी में अमृतपान किया गया।
मंदिरों में निशान पद यात्रा, सुंदरकांड और भक्ति गीतों का उल्लास छाया रहा। पूर्णिमा के साथ अश्विन मास की समाप्ति और कार्तिक के पवित्र महीने की शुरुआत भी हो गई। इसमें महीनेभर के उपवास के साथ तीर्थ स्थलों पर स्नान,ध्यान और दान का सिलसिला जारी रहेगा। करवा चौथ के साथ दिवाली का पांच दिवसीय महोत्सव भी इसी महीने में शामिल होगा। पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि कार्तिक मास का पुण्यकाल शरद पूर्णिमा से ही शुरू हो जाता है। यह एक महिना धर्म और धन वृद्धि के साथ दान के लिहाज से श्रेष्ठ माना जाता है।