कई वर्षों से इस पर ना तो किसी प्रकार का रंग करवाया, ना ही किसी प्रकार के रसायन का लेप, फिर भी उसकी चमक बरकरार है। सीकर के तत्कालीन राजा राव को मेडता की तीज की प्रतिमा आकर्षक लगी। उन्होंने ऐसी ही प्रतिमा सीकर में लाने का मन बनाया। विशेष कारीगरों को मेडता भेजा, उस प्रतिमा को देखकर सीकर की यह प्रतिमा बनाई गई। यह प्रतिमा विशेष लकड़ी की बनी हुई है, इसके अभी तक दीमक तक नहीं लगी। करीब चार फीट की ऊंचाई वाली इस प्रतिमा की पौशाक जरूर दस वर्ष पहले बदल दी गई लेकिन प्रतिमा की चमक पहले जैसी ही है।
आज निकलेगी तीज की सवारी ( Teej Ride )
शहर में शनिवार को तीज की सवारी निकलेगी। सांस्कृतिक मंडल की ओर से तीज माता की शाही सवारी शाम 5.30 बजे रघुनाथ जी के मंदिर से रवाना होगी जो विभिन्न मांर्गों से होते हुए नेहरू पार्क पहुंचेगी। यहां तीज माता का पूजन होगा। पूजन के बाद तीज माता की शाही सवारी रवाना होकर वापस रघुनाथ जी के मंदिर पहुंचेगी।
क्यों मनाई जाती है हरियाली तीज ( Importance Significance history of Teej )
हरियाली तीज स्त्रियों के लिए महत्वपूर्ण त्योहार होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवी पार्वती की तपस्या से खुश हो कर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था और इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को उनके पूर्व जन्म की कथा भी सुनाई थी। इस दिन स्त्रियां माता पार्वती और भगवान शिव की विशेष पूजा करती है। इससे पहले जिन लड़कियों की सगाई इस साल हुई है, उनके ससुराल से पीहर में सिंजारा आएगा। घरों में पकवान बनाए जाएंगे। इस दिन हरी चूडिय़ाँ, हरे वस्त्र पहनने, सोलह शृंगार करने और मेहंदी रचाने का विशेष महत्व है।