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जानिए वो गांव जहां गायों की रक्षा के लिए कटवा लिए थे सिर…

locationसीकरPublished: Jul 18, 2021 05:59:06 pm

Submitted by:

Gaurav

मावंडा क्षेत्र का ईमलोहा श्यामपुरा गांव इतिहास में गायों की रक्षा के लिए अपना बलिदान देने वाले वीर पुरुषों के नाम से प्रसिद्ध है…

गायों की रक्षा के लिए कटवा लिए थे सिर

गायों की रक्षा के लिए कटवा लिए थे सिर

-पीएमओ तक जिस गांव का नाम…आज भी विकास से अछूता है इमलोहा श्यामपुरा
सीकर. मावंडा क्षेत्र का ईमलोहा श्यामपुरा गांव इतिहास में गायों की रक्षा के लिए अपना बलिदान देने वाले वीर पुरुषों के नाम से प्रसिद्ध है। ग्रामीणों के अनुसार सैकड़ों बरस पूर्व इसी गांव के हाथीसिंह, जवाहरसिंह और ठंडूसिंह गायों की रक्षा के लिए लड़े गए एक युद्ध में शहीद हो गए थे। गांव के पास ही स्लोदड़ा में झुंझारजी का भव्य मंदिर है, जहां लोग उनकी पूजा करते हैं। इतिहास प्रसिद्ध इमलोहा श्यामपुरा गांव विकास से आज भी कोसों दूर है। इसी गांव के दीपचंद अग्रवाल विश्व बैंक में उच्च पद पर आसीन हुए थे। उन्होंने अपने स्तर पर गांव में विकास के कार्य करवाए। इन विकास कार्यों का लोकार्पण करने वे स्वयं तथा तत्कालीन राज्यपाल अंशुमानसिंह गांव में आए थे। इतना ही नहीं एक बार गांव के प्रसिद्ध मंदिर से अष्ठ धातू की बेशकीमती मूर्ति चोरी चली गई थी। दीपचंद अग्रवाल ने विदेश से सीधा ही पीएमओ में फोन किया। पीएमओ से सीएमओ को मैसेज मिला। सीएमओ के निर्देश पर जिला पुलिस ने दिन रात एक कर मूर्ति चोरों को पकड़ा तथा मूर्ति बरामद की।
इतिहास – ग्रामीणों के अनुसार सैकड़ों वर्ष पूर्व इस ग्राम के हाथी सिंह, जवाहरसिंह व ठंडूसिंह गायों को बचाते हुए शहीद हो गए थे।
समस्याएं – ग्राम में पेयजल समस्या के अलावा बघेरे मवेशियों का शिकार करते हैं। साथ ही इस क्षेत्र के पहाड़ों में हर वर्ष आग के तांडव मचाने से ग्रामीणों में भय का माहौल बन जाता है। सडक़ का अभाव भी गांव में बड़ी समस्या बना हुआ है।
नए कार्य – सरपंच के अनुसार पेयजल समस्या को मिटाने के लिए व्यापक तौर पर कार्य करवाया जाएगा, टूटे रास्ते भी ठीक करवाये जाएंगे।
पहचान- पहाड़ी क्षेत्र में बने भव्य मन्दिर के दर्शन करने दूर दराज से भी लोग आते हैं। यह तपोभूमि के नाम से प्रसिद्ध है।
अपनी पेंशन गांव पर खर्च करती है वीरांगना
चिमन सिंह कि ढाणी की वीरांगना मगन कंवर सन 1965 से लेकर अब तक अपनी अधिकतम पेंशन राशि ढाणी में मन्दिर, टंकी, ट्यूबवेल, वन्य जीवों के लिए होद व पाइप लाइन आदि कार्यों पर खर्च कर चुकी है।
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