सरकार ने पीपीपी मोड पर ४० प्रकार की क्रिटिकल जांच फिर से शुरू करने के लिए टेंडर तो जारी कर दिया लेकिन वर्कऑर्डर जारी नहीं होने से एसके अस्पताल में जांच लैब शुरू ही नहीं हो पाई। एेसे में थाइराइड, आयरन, विटामिन, एचबीएवनसी जैसे महंगी जांच निजी लैब में जाकर करवानी पड़ रही है। गौरतलब है कि सरकार ने सितंबर 2017 में करसना डायग्नोस्टिक लैब से एमओयू किया था। जिसके तहत अस्पतालों में पीपीपी मोड पर मरीजों के लिए ३६ प्रकार की निशुल्क विशिष्ट जांच सुविधा शुरू की गई थी। जिसे को एक जुलाई २०१९ से बंद कर दिया गया।
यह रहा कारण कंपनी व सरकार के बीच भुगतान को लेकर सहमति नहीं बनी तो वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए टेंडर का नवीनीकरण नहीं हो सका। ऐसे में निशुल्क जांचें बंद कर दी थीं। वहीं एक्सरे के लिए फिल्म नहीं खरीदने के कारण अब स्टॉक में महज पचास-पचास फिल्म की क्षमता वाले दो बॉक्स ही बचे हुए हैं।
फैक्ट फाइल अस्पताल में हर दिन औसतन आठ सौ से दो हजार से अधिक रोगियों की ओपीडी रहती है। रोजाना एक चिकित्सक लगभग 50-60 से अधिक मरीजों की विभिन्न प्रकार जांचें लिखते हैं। २२५ से ज्यादा एक्सरे किए जाते हैं लेकिन ये सुविधाएं बंद होने से मरीजों को बाहर जाना पड़ रहा है।
इनका कहना है पीपीपी मोड पर संचालित लैब के संचालकों ने जल्द ही लैब शुरू करने की बात कही है। फिलहाल मौसमी बीमारियों का जोर है। एेसे में जल्द लैब शुरू हो जाए तो मरीजों को खासा फायदा होगा। एक्सरे प्लेट खत्म होने की जानकारी है। फर्म को एक्सरे प्लेट भिजवाने के निर्देश दिए हैं।
डा. अशोक चौधरी, पीएमओ सीकर