विवि भी तरस रहे भवनों को : तीन खोले एक का भी नहीं बना भवन
तीन साल में तीन नए विवि खोले गए, लेकिन एक का भी भवन निर्माण का काम पूरा नहीं हुआ है। पत्रकारिता विवि की चारीदवारी अभी पूरी हुई है। भवन निर्माण का कार्य पिछले दिनों शुरू होने का दावा किया गया। विधि विवि के भवन निर्माण के लिए मामला निविदा में उलझा हुआ है। एमबीएम विवि को भी भूमि व भवन का मामला अभी प्रक्रियाधीन है।
28 कृषि, आयुर्वेद व पॉलिटेक्निक कॉलेजों में इंतजार
सरकार ने आनन-फानन में 14 कृषि महाविद्यालयों की घोषणा कर दी, लेकिन एक भी कॉलेज में भवन निर्माण का काम पूरा नहीं हो सका। चार पॉलिटेक्निक व दस आयुर्वेद कॉलेजों में भवन निर्माण का काम अधूरा है। चार पशु विज्ञान महाविद्याल व एक संस्कृत कॉलेज भी भवन को तरस रहे हैं।
यह है सरकारी दावों की हकीकत
केस एक : 615 को पढ़ाने के लिए पांच ही शिक्षक
सीकर के पाटन में कॉलेज खोला। पहले इलाके के विद्यार्थियों को नीमकाथाना जाना पड़ता था। लेकिन अब विद्यार्थी यहीं दाखिला ले रहे हैं। नामांकन इस साल 615 विद्यार्थियों का है, लेकिन तीन स्थायी शिक्षक के भरोसे विद्यार्थियों का भविष्य है। पिछले दिनों सरकार ने विद्या सम्बल योजना के तहत दो अस्थाई पदों पर प्राध्यापक लगाए। अब भी दो पद खाली है।
केस दो : छात्रावास में कॉलेज, स्थायी प्राध्यापक दो
नवम्बर 2021 में सरकार ने पूर्व शिक्षा मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल की स्मृति में सुजानगढ़ में राजकीय कन्या कॉलेज शुरू किया। भवन नहीं होने से फिलहाल महाविद्यालय का संचालन पूनमचंद बगडिय़ा छात्रावास से हो रहा है। नामांकन भी 196 तक पहुंच गया। यहां दो स्थायी प्राध्यापक ही नियुक्त है। विद्या सम्बल योजना के तहत चार अस्थाई प्राध्यापक कार्यरत है। जबकि कुल स्टाफ 21 का स्वीकृत है।
केस तीन : स्कूल में कॉलेज, कैसे मिले बेहतर शिक्षा
लोसल में भी राजकीय महाविद्यालय शुरू किया गया। यहां भी भवन नहीं होने से राजकीय स्कूल में ही कॉलेज संचालित है। स्टाफ व अन्य संसाधनों की कमी से विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित हो रही है। यहां 373 से अधिक विद्यार्थी महज चार शिक्षकों के भरोसे है।
विद्यार्थियों का दर्द : कैसे होंगे सपने पूरे...
नए सरकारी कॉलेजों में अध्ययनरत प्रिया कुमारी, रामकुमार ने बताया कि सरकारी कॉलेज में प्रवेश मिलने की खुशी तो है लेकिन स्टाफ नहीं होने से परेशानी भी है। भविष्य में प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी करनी है। जब उच्च शिक्षा की नींव ही कमजोर होगी तो कैसे भविष्य सुनहरा होगा।
देश में उच्च शिक्षा की यह तस्वीर
1. सात फीसदी में स्टाफ कम
केन्द्र सरकार की ओर से स्थापित किए जाने वाले केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में भी स्वीकृत पदों के मुकाबले सात फीसदी तक स्टाफ कम है। सरकार का दावा है कि जुलाई 2022 तक सभी रिक्त पदों को भर दिया जाएगा। आइआइटी व आइआइएम सहित अन्य उच्च शिक्षण संस्थाओं में यह आंकड़ा 2 फीसदी ही है।
2. केरल, महाराष्ट्र व दिल्ली में पहले संसाधन फिर कॉलेज
केरल, महाराष्ट्र व दिल्ली सहित 9 राज्यों में सरकारी कॉलेज को भी अनुमति तब ही मिलती है जब पहले भवन सहित अन्य संसाधन तय हो जाते हैं। जबकि राजस्थान में उलट स्थिति है।
फैक्ट फाइल
कॉलेजों की घोषणा : 191
शुरू हुए: 155
भवन निर्माण के लिए बजट नहीं : 50
20 फीसदी तक काम पूरा : 68 कॉलेज
50 फीसदी काम पूरा : 6
विवि जिनको भवन नहीं : 3
कृषि कॉलेजों को भवन नहीं : 28
एक्सपर्ट व्यू : विस्तार अच्छा, लेकिन संसाधन भी दें सरकार
उच्च शिक्षा का विस्तार होना अच्छी बात है। लेकिन बिना संसाधनों के कॉलेज खोलना गलत है। सरकार की 72 कॉलेजों को सोसायटी के जरिए चलाने का दावा किया जा रहा है। अभी तक कोई रोडमैप तय नहीं है। स्टाफ की भर्ती नहीं होने से दूसरे कॉलेज भी प्रभावित हो रहे हैं।
सुशील कुमार विस्सू, महामंत्री, रूक्टा राष्ट्रीय
दोहरी नीति से विद्यार्थियों को नुकसान
निजी व सरकारी कॉलेज की स्थापना के लिए अलग-अलग कायदे होने का नुकसान विद्यार्थियों को हो रहा है। निजी कॉलेजों में बिना भूमि रूपान्तरण और भवन के अनुमति नहीं दी जाती। जबकि सरकारी कॉलेज बिना संसाधनों के खोले जा रहे हैं।
कमल सिखवाल, कॉलेज संचालक, सीकर