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आंगनबाड़ी केन्द्र तक आखिर कैसे पहुंचे बच्चे….क्या है मामला

locationसीकरPublished: Aug 23, 2019 05:46:36 pm

Submitted by:

Vinod Chauhan

कचरे से होकर जाता है आंगनबाड़ी का रास्ताउदयपुरा ग्राम का मामला, कुछ दिनों पहले मृत पड़ी गाय की दुर्गंध से परेशान

आंगनबाड़ी केन्द्र तक आखिर कैसे पहुंचे बच्चे....क्या है मामला

आंगनबाड़ी केन्द्र तक आखिर कैसे पहुंचे बच्चे….क्या है मामला

खंडेला. महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों पर सुविधाओं के नाम पर लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी देखरेख के अभाव में यह केंद्र दुर्दशा के शिकार हो रहे हैं इसकी बानगी खंडेला पंचायत समिति की गोविंदपुरा ग्राम पंचायत के उदयपुरा ग्राम में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र में देखने को मिली।
आंगनबाड़ी केंद्र को वैसे तो वेदांता फाउंडेशन ने गोद लेकर इसमें तमाम सुविधाएं बालकों के लिए मुहैया करवाई गई है और इसे अब आगनबाड़ी केन्द्र की बजाय नंद घर के नाम से जाना जाता है। लेकिन इन सुविधाओं का लाभ मिलने से ज्यादा यहां पर मृत जानवरों की फैली दुर्गंध से परेशान हैं। इतना ही नहीं मुख्य सडक़ से आंगनबाड़ी केंद्र तक पहुंचना भी बालकों के लिए दूभर साबित हो रहा है। आंगनबाड़ी केंद्र के मुख्य गेट व सडक़ के बीच गंदगी के ढेर लगे हुए हैं जिसकी वजह से केंद्र तक पहुंचना भी बालकों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।
छोटे छोटे बालकों को टीकाकरण के लिए चारों ओर से गंदगी से अटे पड़े इस आंगनवाड़ी केंद्र पर लाना भी बीमारियों के मुंह में दखल ने से कम नहीं है। केंद्र संचालिका से इस संबंध में जब पूछा गया तो उसने सिस्टम की लापरवाही बयां की।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि वर्ष 2015 से वह लगातार इसकी साफ-सफाई व सुगम पहुंच के लिए ग्राम पंचायत को निवेदन कर चुकी है लेकिन पिछले 4 साल में पंचायत प्रशासन के कानो पर जू तक नहीं रेंगी। कार्यकर्ता ने बताया कि केन्द्र के पास में आवारा गायों को यहां पर रखा जाता है। कई बार इनमें से कुछ गायों की मौत हो जाने पर उन्हें वहां से उठवाया भी नहीं जाता है। ऐसी स्थिति में केन्द्र पर बैठना भी दूभर हो जाता है।
जबकि सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडल केंद्रों के रूप में विकसित करने के लिए वेदांता समूह की सहायता से भरसक प्रयास कर रही है। लेकिन सरकार की इस मंशा का जनप्रतिनिधियों व सरकारी नुमाइंदों को कोई असर नहीं पड़ता।

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