शंकर सैनी ने बताया कि गांव के युवाओं ने मिलकर विवेकानंद हर्ष मंडल एक समिति बनाई। समिति ने गांव में पानी की समस्या को दूर करने की योजना बनाई। गांव का गंदा पानी एक जगह भरा हुआ रहता था। गंदे पानी का समाधान करने लगे तो उनका संपर्क बजाज ट्रस्ट से हुआ। उन्होंने पानी के रिजार्च प्लांट के बारे में बताया। इसके बाद प्लांट बना दिया। जिससे गंदा पानी फिल्टर होकर जमीन में जाने लगा। गांव में कई जगहों पर बरसात का पानी इक_ा हो जाता है। वहां पर उन्होंने प्लांट लगाया। अब बरसात का पूरा पानी भी जमीन में ही जाने लगा। तब हर साल उन्होंने एक-एक प्लांट बनाने का प्रण लिया। इसी का परिणाम रहा कि गांव के जलस्तर में सुधार होने लगा।
मुकेश सैनी ने बताया कि गांव में 160 फीट पर पानी है। वे 130 फीट तक एक पाइप ले जाते है। पाइप के चारों ओर छेद कर दिए जाते है। साथ ही पाइप के पूरे हिस्से में जाली लगा देते है। करीब बीस फीट का पक्का गड्डा खोद कर बनाया दिया जाता है। पाइप के चारों ओर बीस फीट तक कंक्रीट डाल देेेते है। फीट पाइप के जरिए पानी को पक्के गड्ड्े में डाला जाता है। गड्डे से पानी कंक्रीट से निकल कर फिल्टर होते हुए पाइप में जाता है। पाइप से पानी सीधे जमीन में जाता है।
शंकर सैनी ने बताया कि एक प्लांट को पाइप डाल कर तैयार करने में 1.20 लाख रुपए का खर्चा आता है। खर्चे को बचाने के लिए पूरी विवेकानंद हर्ष मंडल की टीम एकजुट होकर मेहनत करती है। गांव में कई टयूबवैल सूख चुके है। उन्हें वे चिन्हित करते है। बेकार पड़े टयूबवेलों पर वे प्लांट की योजना बनाते है। इससे काफी खर्चा कम हो जाता है।
गांव में प्लांट लगाने का विरोध हुआ। लोगों से काफी समझाइश की। विवेकानंद हर्ष मंडल समिति का भी विरोध होने लगा। पहले केवल कुछ ही युवा थे। पर अब काफी बड़ी टीम है। टीम में प्रमोद सैनी, सुनील फौजी, अक्षय शर्मा, करण शर्मा, नेमीचंद सैनी, अशोक, महेश, केशरदेव,राधेश्याम, बंटी सहित करीब 35 युवा शामिल है।