आईएएस स्वाति मीणा
वर्ष 1984 में जन्मी स्वाति मीणा सीकर जिले के श्रीमाधोपुर तहसील के गांव बुरजा की ढाणी की रहने वाली हैं। वर्ष 2007 में पहले ही प्रयास में आईएएस परीक्षा 260वीं रैंक से उत्तीर्ण की। इन्हें मध्यप्रदेश कैडर मिला। वर्ष 2012 में जिला कलक्टर के रूप में मंडला जिले में पहली पोस्टिंग मिली। तब इनकी उम्र 28 साल थी। स्वाति मीणा को देश की सबसे कम उम्र में जिला कलक्टर बनने का गौरव भी हासिल है।
मध्यप्रदेश में जिला कलक्टर के पद पर रहते हुए IAS SWATI MEENA ने नर्मदा के रेत और खनन माफिया पर नकेल कसी। इसके अलावा स्वाति को अपने काम में राजनेताओं का हस्तक्षेप और निकम्मे अधिकारी पसंद नहीं। इसी वजह से इन्हें दबंग आईएएस के तौर पर भी पहचाना जाता है। स्वाति ने मध्यप्रदेश कैडर के ही आईएएस तेजस्वी नायक से शादी की है।
आईपीएस सरोज कुमारी
राजस्थान के झुंझुनूं जिले की चिड़ावा तहसील में छोटा सा गांव है बुडानिया। इसी छोटे से गांव बुडानिया की बेटी सरोज कुमारी ने ऊंची उड़ान भरी है। वर्ष 2011 में सिविल सर्विसेस एग्जाम उत्तीर्ण करने वाली सरोज कुमारी को गुजरात कैडर मिला। बोटाद जिले में एसपी रहते हुए सरोज कुमारी ने फिरौती व वसूली करने वाले कई अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया।
नतीजा वहां सरोज कुमारी की छवि लेडी सिंघम की बनी। इसके अलावा IPS SAROJ KUMARI ने बोटाद के गांवों में जिस्मफरोशी के दलदल में फंसी कई महिलाओं की जिंदगी संवारी। उनके लिए उज्ज्वला योजना चलाकर सरोज कुमारी सेक्स वर्कर्स को समाज की मुख्यधारा में लेकर आई और उन्हें रोजगार मुहैया करवाकर स्वावलम्बन बनाया। इसके अलावा जनवरी 2018 में बड़ोदरा में आयोजित इंटरनेशनल मैराथन में मुश्किल दिनों (माहवारी) के बावजूद सरोज कुमारी ने 21 किलोमीटर की दौड़ पूर्ण महिलाओं को संदेश दिया।
आईएएस फराह हुसैन
राजस्थान से आईएएस बनने वाली दूसरी मुस्लिम बेटी है फराह हुसैन। झुंझुनूं के गांव नुआं की रहने वाली हैं। IAS FARAH HUSSAIN बेहद होनहार हैं। तभी तो पहले ही प्रयास में सिविल सेवा उत्तीर्ण कर दिखाई। वो भी बिना किसी कोचिंग के। वर्ष 2016 में 26 वर्षीय फराह आईएएस बनी तब इनके पिता अशफाक हुसैन दौसा के जिला कलक्टर थे। किसी आईएएस पिता के लिए वो पल बहुत ही गर्व का रहा होगा जब बेटी उन्हीं के नक्शे कदम पर चलकर बुलदियों को छू लिया हो। 267वीं रैंक हासिल करने वाली फराह हुसैन मुस्लिम समाज की बेटियों के लिए प्रेरणा है।
आईएएस मंजू राजपाल
चूरू की बेटी मंजू राजपाल जब आईएएस बनी तो शुरुआत दिनों में उन्हें प्रशासनिक स्तर पर काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। एपीओ तक कर दी गई। आईएएस होते हुए एसडीएम पद पर काम करना पड़ा, मगर तमाम दिक्कतें मंजू राजपाल का हौसला नहीं तोड़ पाई। वर्ष 2000 बैच में महिला टॉपर IAS MANJU RAJPAL ने डूंगरपुर में जिला कलक्टर रहते हुए कमाल कर दिखाया।
वर्ष 2006 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए मंजू राजपाल को बेस्ट कलक्टर को अवार्ड दिया गया। डूंगरपुर के आदिवासी क्षेत्र में कलक्टर मंजू राजपाल ने अपनी गहरी छाप छोड़ी थी। बेटियों को गोद भी लिया।
आईपीएस प्रीति चन्द्रा
राजस्थान के जिस भी जिले में आईपीएस प्रीति चन्द्रा की पोस्टिंग होती तो वहां के अपराधियों में खलबली मच
जाती है। वजह प्रीति चन्द्रा का तेज तर्रार और ईमानदार आईपीएस होना था। तभी तो इन्हें राजस्थान की लेडी सिंघम कहा गया।
वर्ष 2008 बैच की आईपीएस अधिकारी IPS PRITI CHANDRA सीकर जिले के गांव कुदन के साधारण परिवार में जन्मीं। प्रीति ने पत्रकार से आईपीएस तक का सफर बिना कोचिंग के तय किया। अलवर में एएसपी, बूंदी एसपी और कोटा एसीबी में एसपी व अन्य महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहीं। बूंदी में देह व्यापार में बच्चियों को धकेलने वाले एक गिरोह का खुलासा कर अपराधियों को सलाखों तक पहुंचाने वाली दबंग अफसर प्रीति चन्द्रा ही थीं।