इग्नू से बीएड प्राइमरी स्कूल शिक्षकों पर पड़ रही भारी
एक ही श्रेणी के मामलों में अलग-अलग तरह की व्याख्या से शिक्षक परेशान

सीकर. शिक्षा विभाग में एक ही श्रेणी के मामलों में अलग-अलग तरह की व्याख्या कर शिक्षकों को परेशानी में डाला जा रहा हैं। एक ही साथ नियुक्त तीन शिक्षक जो पंचायत राज में पदस्थापित हुए, उनमें एक मीडिल में दूसरा प्राइमरी में तो तीसरा सैटअप परिवर्तन से सैंकडरी में चला गया। तीनों ही इग्नू से बीएड कर रहे हैं। लेकिन प्राइमरी स्कूल में कार्यरत शिक्षक को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। पीइइओ से लेकर डीइओ तक इस मामले में टालम टाल कर रहे हैं। शिक्षक परेशान हो रहे है, क्योंकि पत्राचार बीएड में उच्च अध्ययन अवकाश भी नहीं मिलता है।
पल्ला झाड़ रहे अधिकारी
अधिकारी अपने बचाव में उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन का पत्र लिखकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। मार्ग दर्शन का या तो जवाब ही नहीं आता है। यदि संयोग से जवाब आ भी जाता है, तो नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए जाते है। विभाग में कई शिक्षक जो एसटीसी करके ही पदस्थापित हुए हैं, वे अपनी योग्यता अभिवृद्धि के लिए उच्च योग्यता के लिए बीएड करते है। बच्चों के अध्ययन और स्वयं के वेतन का नुकसान होने के भय से वे पत्राचार से ही बीएड करना चाहते है। लेकिन प्राथमिक स्कूल में कार्य करने वाले शिक्षक को विभाग अलग नियमों का हवाला देता है।
प्राइमरी स्कूल शिक्षक झेल रहे दोहरी मार
पत्राचार बीएड जो की अधिकांश शिक्षक इग्नू से करते है। इससे प्रथम वर्ष में चार सप्ताह तथा द्वितीय वर्ष में चार माह की इंटर्नशिप होती है। जिसमें कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों को पढ़ाना होता है। जो शिक्षक मीडिल, सैंकडरी या सीनियर सैंकडरी में कार्यरत है वे शिक्षक अपने मूल स्कूल में ही इंटर्नशिप कर लेते हैं। लेकिन जो शिक्षक प्राइमरी स्कूल में कार्यरत हैं, उन्हें मिडिल या सैकेंडरी स्कूल में इंटर्नशिप करनी पड़ती है। और दूसरी स्कूल में इंटर्नशिप करने पर उक्त अवधि का या तो वेतन कटता है या उपार्जित अवकाश लेना पड़ता हैं।
अधिकारियों को मिले सेवा नियमों का प्रशिक्षण
एक ही प्रकृति के मामलों में विभाग के अधिकारी अलग-अलग तरह से व्याख्या करते हैं, दुर्भाग्य है कि विभाग के अधिकारी न तो पढ़ते हैं और न नियमों की जानकारी रखते हैं। अपनी नौकरी बचाने के लिए केवल बचाव की मुद्रा में रहते हैं, समाधान की ओर नहीं। सरकार को चाहिए कि इन्हें सेवा नियमों का प्रशिक्षण दिया जाए। जिससे यह धरातल पर काम कर सकें।
उपेंद्र शर्मा, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत)
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