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कोरोनाकाल में नौकरी गई तो खेत में खोल दिया मावे का प्लांट, प्रशासन ने 50 किलो मिल्क केक नष्ट करवाया

locationसीकरPublished: Oct 29, 2020 01:18:45 pm

Submitted by:

Ashish Joshi

सीकर. मिठाई की दुकान पर काम करने वाले व्यक्ति की कोरोनाकाल में जब नौकरी चली गई तो उसने एक खेत में ही मावा बनाने का प्लांट लगा लिया। इसके लिए उसने कोई स्वीकृति भी नहीं ली। इसकी शिकायत पर शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तहत टीम जब बुधवार को मौके पर पहुंची तो फैक्ट्री संचालक मौके से फरार हो गया। जिसे बाद में बुलाया गया और फेक्ट्री को सीज किया गया। मौके पर ही दुर्गन्ध मारते 50 किलो मिल्क केक को नष्ट करवाया गया।

कोरोनाकाल में नौकरी गई तो खेत में खोल दिया मावे का प्लांट, प्रशासन ने 50 किलो मिल्क केक नष्ट करवाया

कोरोनाकाल में नौकरी गई तो खेत में खोल दिया मावे का प्लांट, प्रशासन ने 50 किलो मिल्क केक नष्ट करवाया

सीकर. मिठाई की दुकान पर काम करने वाले व्यक्ति की कोरोनाकाल में जब नौकरी चली गई तो उसने एक खेत में ही मावा बनाने का प्लांट लगा लिया। इसके लिए उसने कोई स्वीकृति भी नहीं ली। इसकी शिकायत पर शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तहत टीम जब बुधवार को मौके पर पहुंची तो फैक्ट्री संचालक मौके से फरार हो गया। जिसे बाद में बुलाया गया और फेक्ट्री को सीज किया गया। मौके पर ही दुर्गन्ध मारते 50 किलो मिल्क केक को नष्ट करवाया गया। दुर्गन्ध मारते डिब्बें और उन पर रेंगते कीड़़े-मकोड़े और प्रतिष्ठानों पर एक भी कांटा बांट प्रमाणित नहीं। यह हकीकत किसी गांव की नहीं जिला मुख्यालय पर शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तीसरे दिन देखने को मिली। बुधवार को आठ प्रतिष्ठानों पर दूध के नमूनों की जांच की गई। इस दौरान डेयरी, मसाला उद्योग, तेल मिलए मिठाई विके्रता से दूध, सोयाबिन तेल, डोडा बर्फी, लाल मिर्च पाउडर के सैम्पल लिए गए। जिन्हें जांच के लिए जयपुर भेजा गया। इस दौरान बाट माप विभाग की ओर से कम तौलने तथा बाट व माप सही नहीं पाए जाने पर सात व्यापारियों का चालान किया गया। कार्रवाई में खाद्य सुरक्षा अधिकारी रतन गोदारा, एलएमओ भगवती लाल, रसद विभाग के प्रवर्तन निरीक्षक अंशु तिवाड़ी व सरस डेयरी के प्रतिनिधि डीपी पारीक मौजूद रहे।
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जिले में 22 हजार दुकान लेकिन अधिकारी एक
त्योहारी सीजन में मिलावट रोकने के लिए भले ही प्रशासन के सात विभागों का संयुक्त अभियान चलाया जा रहा है और अभियान के दो दिन में महज करीब एक दर्जन से ज्यादा जगह में ही मिलावटी और अवधि पार खाद्य सामग्री के भंडार मिल चुके हैं। लेकिन कमजोर इच्छा शक्ति के कारण पूरे वर्ष भर जिस विभाग पर मिलावट को रोकने की जिम्मेदारी है उस विभाग में स्वीकृति पद तो दूर जरूरी संसाधन तक नही है। जबकि पूर्व में सीकर जिले में चल प्रयोग शाला चलती थी। साथ ही कल्याण अस्पताल में खाद्य विभाग की लैब बनी हुई थी जहां आस-पास के जिले के भी खाद्य पदार्थों के सेम्पल की जांच होती थी। उस समय के अधिकारियों की अनदेखी के कारण न केवल चल प्रयोगशाला बंद हुई वहीं कल्याण अस्पताल में संचालित लैब भी बंद हो गई।
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सभी दुकानों तक पहुंच नहीं
संसाधनो की कमी के कारण जिले में विभाग की पहुंच तो दूर कई जगह तो बरसों बाद भी आज तक विभाग की टीम नहीं पहुंच सकी। इसके अलावा मिलावट को रोकने के लिए उठाए गए सभी सैम्पल की समय पर जांच हो और जांच रिपोर्ट तक समय पर मंगवाई जा सके। जिससे दोषी पर सख्त कार्रवाई हो और आमजन को शुद्ध खाद्य पदार्थ मिले। इसके लिए न तो स्थानीय अधिकारी ध्यान दे रहे और न ही प्रदेश स्तरीय। यही कारण है कि अभियान के दौरान खाद्य सुरक्षा अधिकारी टीम के साथ रहे या ऑफि स के काम निपटाए। स्थानीय अधिकारियों की मद्द नहीं मिलने से न तो मिलावट के स्थान मिले और न ही समय पर कार्रवाई हो सकी। इस कारण त्योहारी सीजन के निकलने के बाद ही रिपोर्ट आती और तब तक खाद्य पदार्थ की खपत हो जाती है।
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टीम देखी तो मौके से भाग गया
एक मिठाई की दुकान पर काम करने वाले व्यक्ति ने कोरोना काल में जब नौकरी को खो दिया तो उसने जमीन किराए पर लेकर खेत में ही मावा प्लांट लगा लिया। इसके लिए उसने कोई स्वीकृति ली। महीनो से चल रहे इस खेल की कई बार शिकायत दी जा चुकी। अभियान के तहत टीम जब मौके पर पहुंची तो फैक्ट्री संचालक मौके से फ रार हो गया।

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