सीकर जिले में अप्रेल माह में कोरोना वेक्सीन की पहली डोज लगवा चुके लोगो की अब जुलाई माह में दूसरी डोज डयू हो चुकी है। इन लोगों के मोबाइल पर मैसेज भी आ चुके हैं लेकिन डोज नहीं आने से उन्हे टीका नही लग पाया और वे खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। टीकाकरण कर्मियों के अनुसार वेक्सीन की रफ्तार इस तरह से ही रही तो जिले की पूरी आबादी को सुरक्षित करने के लिए रोजाना पचास हजार से ज्यादा डोज चाहिए। गौरतलब है कि सीकर जिले में 16 जनवरी से वेक्सीनेशन अभियान शुरू किया गया था। जिनमें से कई दिन तो नाममात्र का टीकाकरण ही हो सका।
यह है हकीकत सीकर जिले में 18 से 45 वर्ष तक के 1222383 लोगो को वेक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन इनमें से महज तीन लाख 38 हजार 909 लोग ही पहली खुराक ले पाए। जबकि आठ लाख 83 474 लोगो को अभी कोरोना वेक्सीन की पहली खुराक का इंतजार है। केवल 13440 लोग दूसरी डोज लगवा चुके हैं। 45 वर्ष से ज्यादा आयु वाले 5 लाख 78 हजार 548 लोगों को लोगों को कोरोना वेक्सीन की पहली डोज लगाई जानी थी इनमें से पांच लाख 10 हजार 195 पहली खुराक ले चुके हैं। वहीं 2लाख 26 हजार 142 लोग ही दूसरी डोज लगा सके।
कोविन एप के अनुसार जिले में 1 लाख 39297 लोग कोवेक्सीन और दस लाख 25 हजार 635 लोग कोविशील्ड की खुराक ले चुके हैं। इनमें से छह लाख पुरुष और पांच लाख 63 हजार महिलाएं है। एप के अनुसार 45 से 60 वर्ष की आयु वाले तीन लाख 98 हजार 470 लोग, 60 वर्ष से से ज्यादा वाले 3 लाख 68 हजार 986 और 18 से 44 वर्ष वाले तीन लाख 68 हजार 986 लोग वेक्सीन की खुराक ले चुके हैं। सबसे बड़ी वेक्सीन किल्लत और पहली डोज के लिए रजिस्ट्रेशन होना है। यही कारण है कि वेक्सीन आंवटित होते ही सेंटर्स पर भीड लग जाती है और वेक्सीन लगवाने को लेकर सिफारिशों का दौर शुरू हो जाता है। जबकि बाहर खडे लोगों का नम्बर आने से पहली वेक्सीन खत्म हो जाती है। सीकर शहर में सबसे ज्यादा विवाद और गफलत की स्थिति कल्याण स्कूल के वेक्सीनेशन सेंटर पर हुई है। वैक्सीन लगवाने आए लोगो ने वेक्सीन की खाली सिरिंज लगाने और चहेतों को बैकडोर से एंट्री करवाने की शिकायत दर्ज करवाई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
तीन दिन में प्रथम सीकर