इस गांव में इंद्र भगवान ने किया श्री भगवान का महामस्तक अभिषेक
सीकरPublished: Jun 17, 2019 05:55:05 pm
मारोठ कस्बे की जनकल्याण गोपाल गोशाला मारोठ में गुरु मां विज्ञा श्रीमाता की प्रेरणा से सवा 21 फीट के कमल के फूल पर सवा 11 फीट की भगवान महावीर की प्रतिमा विराजमान की गई
इस गांव में इंद्र भगवान ने किया श्री भगवान का महामस्तक अभिषेक
सुरेरा. निकटवर्ती मारोठ कस्बे की जनकल्याण गोपाल गोशाला मारोठ में गुरु मां विज्ञा श्री माता की प्रेरणा से रविवार को सवा 21 फीट के कमल के फूल पर सवा 11 फीट की भगवान महावीर की प्रतिमा विराजमान की गई और वार्षिक मेला लगाया गया। हितेश जैन ने बताया कि वार्षिक मेले में कलश अभिषेक खुद इंद्रदेव बारिश के रूप में श्री भगवान महावीर का महामस्तक अभिषेक किया। बारिश इतनी जोरदार हुई की चारों ओर पानी पानी हो गया लेकिन आचार्य गुरुवर विराग सागर महाराज व गुरु माँ विज्ञा श्री माताजी के सामने जला हुआ दीपक अखंड ज्योत लिए हुए प्रज्ज्वलित होता रहा। गोपाल गोशाला अध्यक्ष भंवर लाल बाबेल ने बताया कि सुबह झंडारोहण हुआ। इसके बाद वार्षिक कलशा अभिषेक किए गए। नावा से लुकमान शाह, मनोज गंगवाल,राजेश जैन, मकराना से पवन कुमार धूत का भंवर लाल बाबेल ने माला व साफा पहनाकर स्वागत किया। श्रीपाल जैन गोधा ने बताया कि कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में नावा मकराना जयपुर जैन समाज के लोग उपस्थित रहे।
श्रीमाधोपुर. हल्के के ग्राम निमेड़ा में चल रही सप्तदिवसीय भागवत कथा महोत्सव में दूसरे दिन भगवान के विभिन्न अवतारों की कथा के प्रसंग सुनाए गए। श्रीदुर्गादत्त शर्मा की स्मृति में चल रही कथा में कथा वाचिका साध्वी राधिका दीदी ने कहा कि कलियुग में भागवत साक्षात श्रीहरि का रूप है। पावन हृदय से इसका स्मरण मात्र करने पर करोड़ों पुण्यों का फल प्राप्त हो जाता है। इस कथा को सुनने के लिए देवी देवता भी तरसते हैं और दुर्लभ मानव प्राणी को ही इस कथा का श्रवण लाभ प्राप्त होता है। श्रीमदभागवत कथा के श्रवण मात्र से ही प्राणी मात्र का कल्याण संभव है। कथा महोत्सव में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
मनुष्य जन्म ही सर्वश्रेष्ठ
शिश्यंू. रानोली नसियां जैन मंदिर में चल सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का रविवार को समापन हुआ। अंतिम दिन कथावाचिक पं. जयगोपाल शास्त्री ने भागवत कथा में निहित अर्थों को बताया। भगवान ने कलयुग में धर्म की स्थापना के लिए ही भागवत व रामचरित्र मानस जैसी पुस्तकों को जन्म दिया। शास्त्री ने कहा समस्त योनियों में मनुष्य जन्म ही सर्वश्रेष्ठ है। जब अनेक जन्मों के संचित पुण्यों का उदय होता है, तब मनुष्य को सत्संग एवं भागवत कथा का महापुराण सुनने को मिलती है। कलयुग में भागवत कथा भवरोग ही रामबाण औषधि कथा के समापन पर भगवान कृष्ण और सुदामा के चरित्र के बारे में एवं कृष्ण के प्रति मीरा बाई की सच्ची भक्ति के अनुसार भगवान मीरा के कटोरे में ही विराजमान हो गए। इस मौके पर प्यारेलाल जांगिड़, दीपचन्द, गुलझारी लाल, सुरेश छीपा, मूलचन्द , इन्द्रेश शास्त्री, सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे।