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स्वतंत्रता दिवस विशेष: देश के नाम शेखावाटी के जाबांजों की सबसे ज्यादा जान कुर्बान

locationसीकरPublished: Aug 15, 2019 10:32:07 am

Submitted by:

Naveen

Independence Day 2019 Story of Shekhawatis Martyred Soldiers : देश की आजादी में जितनी भूमिका स्वतंत्रता सेनानियों की रही, उसे बनाए रखने में उतनी ही भूमिका शेखावाटी के सैनिकों की है।

Independence Day 2019 Story of Shekhawatis Martyred Soldiers : देश की आजादी में जितनी भूमिका स्वतंत्रता सेनानियों की रही, उसे बनाए रखने में उतनी ही भूमिका शेखावाटी के सैनिकों की है।

स्वतंत्रता दिवस विशेष: देश के नाम शेखावाटी के जाबांजों की सबसे ज्यादा जान कुर्बान

सीकर.

Independence Day 2019 Story of Shekhawatis Martyred Soldiers : देश की आजादी में जितनी भूमिका स्वतंत्रता सेनानियों की रही, उसे बनाए रखने में उतनी ही भूमिका शेखावाटी के सैनिकों की है। जो संख्या में न केवल प्रदेश से सबसे ज्यादा हैं, बल्कि देश के लिए शहादत देने में भी सबसे आगे हैं। इसका सबूत सैनिक कल्याण बोर्ड के आंकड़े हैं। जिनमें देश के नाम जान देने वाले प्रदेश के सैनिकों में से 45 फीसदी सैनिक शेखावाटी के होना सामने आया है। आंकड़ों के मुताबिक 1999 के बाद प्रदेश के 1650 सैनिक देश के नाम अपनी जान कुर्बान कर चुके हैं। जिसमें अकेले सीकर, चूरू और झुंझुनूं के 760 सैनिक शामिल है।

तीन जिलों ने दी प्रदेश की 45 फीसदी शहादत
सैनिक कल्याण विभाग के आंकड़ों के मुताबिक देश की सुरक्षा में शहीद होने वाले शेखावाटी के सैनिकों का हिस्सा 45 फीसदी है। करगिल युद्ध के बाद से अब तक प्रदेश के 1650 सैनिक शहीद हुए हैं। जिनमें 731 शहीद सीकर, चूरू और झुंझुनूं से हैं।

शहादत में झुंझुनूं अव्वल
1999 के करगिल युद्ध के बाद से देश के लिए शहीद हुए जवानों में सबसे ज्यादा शहीद झुंझुनूं के हैं। पिछले 20 साल में झुंझुनूं के 428 जवानों ने विभिन्न ऑपरेशनों में देश के लिए जान दी है, तो सीकर के 211 और चूरू के 92 जवान देश के नाम कुर्बान हो चुके हैं।

हर युद्ध और ऑपरेशन में भागीदारी
शेखावाटी के जाबांजों की हर युद्ध में भूमिका रही है। स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध तक में अंचल ने कई शहादत दी है, तो आजादी के बाद हुए भारत चीन और भारत पाकिस्तान युद्ध से लेकर 1999 के ऑपरेशन करगिल विजय, संसद पर हमले, ऑपरेशन पवन, ऑपरेशन ब्लू स्आर, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन रक्षक, ऑपरेशन विजय, मिलिटेंट एक्शन, ऑपरेशन पराक्रम, काउंटर इमरजेंसी, ऑपरेशन फॉल्कोन और ऑपरेशन मेघदूत सरीखे विभिन्न नक्सली और आतंक विरोधी ऑपरेशनों में भी शेखावाटी के हजारों सेनानियों ने दुश्मनों के दांत खट्टे किए हैं। हालांकि 1999 से पहले का रिकॉर्ड सैनिक कल्याण विभाग के पास नहीं है। लेकिन, जानकारों की मानें तो आजादी से लेकर करगिल ऑपरेशन तक शेखावाटी के करीब एक हजार से ज्यादा सैनिकों ने शहादत दी है।

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