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Sikar Jawan Shaheed : 10 माह की बेटी ने दी शहीद पिता की चिता को मुखाग्रि, कोई नहीं रोक सका आंसू

SIKAR : जम्मू कश्मीर के द्रास सेक्टर में भूस्खलन में शहीद हुए सीकर के महेश कुमार निठारवाल का सोमवार को अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव हांसपुर गांव की बीजापुर ढाणी में हुआ।

सीकरOct 22, 2018 / 04:47 pm

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Sikar Jawan Shaheed : 10 माह की बेटी ने दी शहीद पिता की चिता को मुखाग्रि, कोई नहीं रोक सका आंसू

सीकर. जम्मू कश्मीर के द्रास सेक्टर में भूस्खलन में शहीद हुए सीकर के महेश कुमार निठारवाल का सोमवार को अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव हांसपुर गांव की बीजापुर ढाणी में हुआ। शहीद की 10 महीने की बेटी अनुष्का और 10 महीने के भतीजे युवराज ने उनकी चिता को मुखाग्रि दी। इससे पहले शहीद की पार्थिव देह रविवार शाम को दिल्ली से सडक़ मार्ग के जरिए श्रीमाधोपुर पुलिस थाना पहुंची।

 

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यहां रात भर रखने बाद शहीद की पार्थिव देह को सोमवार सुबह रैली के रूप में पैतृक गांव ले जाया गया। इस दौरान पुलिस थाने से लेकर शहीद के घर तक जगह-जगह लोगों ने पुष्पवर्षा कर शहीद को श्रद्धांजलि दी। वहीं, शहीद अमर रहे और भारत माता की जय के जयकारों से पूरे इलाके को गुंजायमान कर दिया। शहीद के घर पर अंतिम दर्शन के बाद शहीद अंतिम यात्रा रवाना हुई। जिसमें हजारों लोगों ने शहीद और भारत माता के जयकारों के बीच शहीद की पार्थिव देह को अंत्येष्टि स्थल तक पहुंचाया। मासूम बेटी द्वारा शहीद पिता की चिता को मुखाग्रि दी गई तो कोई अपने आंसू नहीं रोक पाया। इधर, महेश की शहादत पर भाई राजेश सहित पूरा परिवार आंखों के बीच भी गर्व के भावों से भरा दिखाई दिया।

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पत्नी के मोबाइल पर आया फोन, भाई के आंसुओं से समझ गई सब कुछ

शनिवार को सुमन के मोबाइल पर आर्मी से फोन आया था। कहा गया कि किसी पुरुष परिजन से बात करा दो, भाई से बात करवाई, तो छोटा भाई सुनते ही रो पड़ा। सुमन भी पहले तो समझ नहीं पाई, लेकिन भाई की आंखों में बहते आंसुओं ने सब कुछ बिना कहे ही कह दिया। वह शनिवार रात को ही ससुराल आने की जिद कर रही थी, लेकिन परिजनों ने समझाकर रोका। अभी शव आने में ही काफी वक्त लगेगा। इधर, शनिवार को हांसपुर का माहौल भी गमगीन बना
नजर आया।

 

बचपन से ही सेना में जाने की चाह


वह शुरू से ही सेना की तैयारी कर रहा था। दो-तीन साल पहले सीकर में हुई सेना भर्ती रैली में ही उसका चयन हुआ था। प्रशिक्षण के बाद द्रास में उसे नियुक्ति मिली थी। महेश कुमार मिठारवाल तीन साल पहले 6 राज आरआइएफ बटालियन में भर्ती हुआ था। करीब बीस माह पूर्व महेश की रॉयल निवासी सुमन के साथ शादी हुई थी। महेश कुमार के एक सात माह की बेटी है। महेश के पिता गिरधारीलाल टैम्पो चलाते हैं।

 

पिता गर्वित, गांव में रातभर चर्चा


शहीद के पिता गिरधारीलाल गर्वित तो थे, लेकिन आंखें नम ही नजर आई। गांव के जवान की शहादत से गांववालों के सीने भी फख्र से तने थे, लेकिन कोई आंख ऐसी न थी, जिसमें आंसू न थे। गांव का माहौल आज बदला हुआ था। हर जुबां महेश की जांबाजी की चर्चा कर रही थी। गांववालों ने बताया कि महेश बचपन से ही मिलनसार व युवाओं का चहेता था। महज 24 साल के महेश को बचपन से ही सेना में जाने का जुनून था।

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