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विकास कार्यों पर महंगाई का लॉकडाउन, ठेकेदारों ने कई प्रोजेक्ट से हाथ खींचे

locationसीकरPublished: May 15, 2022 10:30:54 am

Submitted by:

Ajay

सीकर. पेट्रोल-डीजल से लेकर निर्माण सामग्री की कीमतों में उछाल आने की वजह से प्रदेश में विकास कार्यों पर महंगाई का लॉकडाउन लग गया है।

विकास कार्यों पर महंगाई का लॉकडाउन, ठेकेदारों ने कई प्रोजेक्ट से हाथ खींचे

विकास कार्यों पर महंगाई का लॉकडाउन, ठेकेदारों ने कई प्रोजेक्ट से हाथ खींचे

अजय शर्मा
Effect of Inflation: सीकर. पेट्रोल-डीजल से लेकर निर्माण सामग्री की कीमतों में उछाल आने की वजह से प्रदेश में विकास कार्यों पर महंगाई का लॉकडाउन लग गया है। जिन प्रोजेक्ट के लिए पहले निर्माण एजेंसी की कतार लगी हुई थी, उन प्रोजेक्ट्स से बड़ी-बड़ी फर्म भी हाथ खींच रही है। इधर, राज्य सरकार बजट घोषणाओं को समय पर पूरा कराने के लिए ठेकेदारों को नोटिस देने की तैयारी में है। कई फर्मों की तरफ से तरह-तरह के तर्क देकर प्रोजेक्ट शुरू नहीं किए जा रहे हैं। इससे सरकार के साथ आमजन की मुसीबत भी बढ़ती जा रही है। सरकार ने अब कई प्रोजेक्ट्स की दुबारा से निविदा जारी कराने की तैयारी कर ली है। प्रदेश में 150 से अधिक सड़क व भवनों के काम महंगाई के फेर में उलझ गए हैं। शुक्रवार को प्रदेश के दस से अधिक जिलों में पहुंचे प्रभारी मंत्रियों की बैठक में भी यह मुद्दा गूंजा है। पत्रिका ने ठेकेदारों के प्रोजेक्ट्स से हाथ खींचने के मामले में पड़ताल की तो सामने आया कि लोहे से लेकर सीमेंट, सरिया और बजरी की कीमतों में काफी उछाल आया है। ऐसे में मुनाफे की उम्मीद नहीं होने की वजह से उन्होंने कार्यादेश होने के बाद भी प्रोजेक्ट्स से सोशल डिस्टेंस बना लिया है।

आम आदमी के आशियाने के अरमानों पर भी असर : 10 लाख का निर्माण 14 लाख तक पहुंचा

निर्माण सामग्री की दरों में लगातार उछाल आने की वजह से आम आदमी के आशियाने का सपना भी महंगा हो रहा है। अक्टूबर 2021 से पहले तक 100 वर्ग मीटर में साधारण मकान निर्माण में एक हजार रुपए स्क्वायर फीट के हिसाब से कंस्ट्रक्शन कंपनी काम कर रही थी। अक्टूबर 21 के बाद यही दर 1250 रुपए हो गई। बढ़ती महंगाई के चलते अब 1400 रुपए से कम में ठेकेदार काम हाथ में नहीं ले रहे। जानकारों का कहना है कि छह महीने पहले जहां 10.76 लाख में साधारण मकान बनता था, अब 14 लाख रुपए तक पहुंच गया। यदि बेहतर गुणवत्ता और साज-सज्जा के साथ मकान बनाया जाए तो यही रेट 17 से 20 लाख रुपए तक पहुंच गई है।

पहले गांव-शहर की सीमा में उलझा, अब नहीं मिल रहे ठेकेदा

नवलगढ़ रोड का मामला एक साल तक पंचायत और नगर परिषद की सीमा विवाद में अटका रहा। निर्माण एजेंसी का दावा है कि एक बार मरम्मत और नवीनीकरण के लिए निविदा जारी की। शुरूआत में तो ठेकेदारों ने उत्साह दिखाया। लेकिन महंगाई की वजह से बाद में ठेकेदारों ने प्रोजेक्ट से हाथ वापस खींच लिए।

जानिए कहां-कहां है पीड़ा
केस एक: अजमेर डिस्कॉम चाहते हुए भी नहीं दे सका किसानों को कनेक्शन

लोहे व एल्युमिनियम की बढ़ती कीमतों की वजह से किसानों के कनेक्शन भी अटक गए हैं। अजमेर डिस्कॉम की ओर से नवम्बर 21 से फरवरी 22 तक किसानों को कनेक्शन देने की योजना थी। निगम ने स्ट्रक्चर सहित अन्य सामग्री के लिए कंपनियों को वर्क ऑडर भी दे दिया। लेकिन एक महीने बाद कंपनी ने हाथ खडे़ कर दिए। अब खुद निगम की ओर से कच्ची सामग्री खरीदकर किसानों को कनेक्शन देने की तैयारी की जा रही है। जबकि चार साल पहले इस निविदा के लिए 50 से अधिक कंपनियां काम लेने आई थी।

केस दो: पहले काम लिया, महंगाई बढ़ी तो हाथ खींचे

सीकर शहर में फतेहपुर रोड की टूटी सड़क के निर्माण के लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से पिछले दिनों निविदा जारी की गई। इस कार्य का एक स्थानीय फर्म को कार्यादेश भी दे दिया गया। अभी तक काम शुरू नहीं हुआ। जिला परिषद की साधारण सभा से लेकर प्रभारी मंत्री की बैठक में जनप्रतिनिधियों ने अफसरों को घेरा तो सच सामने आया। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने बताया कि फर्म काम नहीं करना चाहती। नए सिरे से निविदा जारी करने के निर्देश दिए गए।

केस तीन: कोटपुतली-कुचामन मेगा हाइवे का काम भी अटका

प्रदेश के आठ जिलों में सीवरेज पहले चरण का काम पूरा होने के बाद भी नई सड़क नहीं बन सकी। इसके अलावा कोटपुतली-कुचामन मेगा हाइवे के नवीनीकरण का कार्य पांच महीने से जारी है। लेकिन कीमतों में उछाल की वजह से काम की रफ्तार धीमी हो गई। फटकार के बाद निर्माण एजेंसी ने काम को जल्द पूरा कराने का आश्वासन दिया है।

बड़ी वजह

फतेहपुर रोड

1. पेट्रोल व डीजल की बढ़ी कीमतें

पेट्रोल व डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही है। इससे परिवहन की दरों में भी इजाफा हो गया है। असर निर्माण सामग्री तक भी हुआ है।

2. रूस-यूक्रेन युद्ध

खुद केन्द्र सरकार का दावा है कि रूस व यूक्रेन युद्ध की वजह से महंगाई का ग्राफ बढ़ा है। कच्चे माल की सप्लाई चेन टूटने से दुनिया के कई देशों में महंगाई बढ़ी है।

ऐसे समझें महंगाई का गणित

– एक्सपर्ट अनुराम टीबड़ा ने बताया कि लॉकडाउन से पहले लोहे के पाइप 50 रुपए किलो तक मिले रहे थे। जो अब 90 रुपए किलो में मिल रहे हैं।

– सरिया 44 से 50 रुपए किलो में था। जिसके भाव बढ़कर 75 से 80 रुपए किलो तक हो गए हैं।

– सीमेंट तीन साल में लगभग 100 रुपए कट्टे तक महंगा हो गया है।

– प्लास्टिक पाइप की कीमतों में तीन साल में 70 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है।

– बजरी व सेनेटरी सामग्री की दरों में भी इजाफा हुआ है।

शिक्षानगरी के दोनों प्रवेश द्वार वाले मार्ग आम आदमी को दे रहे दर्द

शिक्षानगरी के प्रवेश द्वार फतेहपुर रोड और नवलगढ़ रोड की सड़क पिछले दो साल से टूटी हुई है। दोनों सड़कों के मामले जिला परिषद से लेकर प्रभारी मंत्री की बैठक में गूंज चुके है। पहले सरकार इन मार्गो के लिए बजट की स्वीकृति दिला सकी। अब बजट की स्वीकृति मिली तो जनता की राहत पर महंगाई ने ब्रेक लगा दिए।

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