इसलिए अटकी बीमा
-वर्ष 2018-19 में प्रदेश में पशुधन बीमा के लिए बीमा कंपनियों से आवेदन मांगे गए। लेकिन इस दौरान भारत सरकार की ओर से निर्धारित दरों से अधिक प्रीमियम राशि कंपनियों ने दी। इस वजह से प्रदेश में एक भी पशुधन का बीमाा नहीं हो सका।
- वर्ष 2019-20 में भी पशुधन का बीमा नहीं होने के लिए राज्य सरकार की ओर केन्द्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया। पशुपालन विभाग का तर्क है कि केन्द्र सरकार से निर्धारित समय पर राशि प्राप्त नहीं होने के कारण निविदा जारी नहीं की जा सकी।
-वर्ष 2020-21 में किसी भी बीमा कंपनी ने निविदा प्रक्रिया में भाग नहीं लिया गया।
-वर्ष 2021-22 में केन्द्र सरकार ने संशोधित प्रीमियम दर जारी कर दी। लेकिन महज एक कंपनी की ओर से निविदा फार्म भरा गया। इस कंपनी ने भी महज जयपुर व अजमेर संभाग के लिए आवेदन किया।
अब 6 लाख पशुओं के बीमे का दावा
पशुपालकों के पशुधन के बीमा की मांग उठने पर सरकार की ओर से इस बार बजट में छह लाख पशुपालकों के पशुओं के बीमा किए जाने की घोषणा की है। इसके लिए सरकार ने बजट में 150 करोड़ का प्रावधान भी किया है। राज्य सरकार का दावा है कि पशुधन के बीमे के लिए निविदा जारी करने की तैयारी कर ली है। कंपनी से एमओयू होने के बाद प्रदेश के किसानों को फायदा मिल सकेगा।
और सरकार का यह भी दावा
इस वित्तिय वर्ष में टीकाकरण: 15.92 लाख
पशु चिकित्सालयों में निशुल्क दवाएं: 138
इस साल पशु बीमा के लिए बजट: 150 करोड़
कितने पशुओं का बीमा: 6 लाख
पिछले तीन साल में बीमा हुआ: 0
और ऐसे समझें पशुपालकों का दर्द
केस एक: मजबूरी में बीमा के लिए चुकाने पड़ रहे ज्यादा पैसे
सीकर निवासी पशुपालक सुंदर सिंह का कहना है कि पहले उनके चार पशुओं का भामाशाह बीमा योजना में बीमा था। लेकिन सरकार ने अचानक योजना को बंद कर दिया। वर्तमान में अच्छी नस्ल के पशुओं की कीमत भी काफी बढ़ गई है। ऐसे में मजबूरी में निजी बीमा कंपनियों को ज्यादा रुपए चुकाकर पशुओं का बीमा कराना पड़ रहा है।
केस दो: बीमा होता तो नहीं आती आर्थिक मुसीबत
पशुपालक विनोद कुमार का कहना है कि बिजली करंट की वजह से पशु की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि पूरा परिवार दुग्ध उत्पादन की आय पर ही निर्भर था। कोरोना के बीच में यह मुसीबत आने से आर्थिक संकट बढ़ गया। यदि बीमा होता तो राहत मिल सकती थी। अब उधार के पैसे लेकर दूसरा पशुधन खरीदा है।
केस तीन: 6 लाख कौनसे पशुपालक पात्र होंगे
सरकार की बजट घोषणा के बाद भी किसानों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। पशुपालक रामकुमार का कहना है कि सरकार ने बजट में 6 लाख पशुओं के बीमा कराने की घोषणा तो की है लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि इसके दायरे में कौनसे किसान आएंगे। इस वजह से पशुपालक निजी कंपनियों से भी बीमा नहीं करवा पा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार को जल्द गाइडलाइन जारी करनी चाहिए।
पहले किसानों को ऐसे मिल रहा था फायदा
प्रदेश में सितंबर 2018 से पहले भामाशाह पशु बीमा योजना संचालित थी। इस योजना में पशुपालकों को 330 से 413 रुपए के प्रीमियम पर चार से पांच लाख रुपए का बीमा मिल रहा था। इसमें सरकार की ओर से 50 से 70 फीसदी छूट का भी प्रावधान शामिल था।
अन्य राज्यों में पशुधन बीमा की क्या स्थिति...
हरियाणा: अलग ट्रस्ट बनाने की तैयारी में सरकार
हरियाणा सरकार की ओर से पशुधन का बीमा कराने के लिए फिलहाल बीमा कंपनियों का सहारा लिया जा रहा है। भविष्य में सरकार की ओर से ट्रस्ट बनाकर बीमा कराने की योजना बनाई है। सरकार का दावा है कि इससे ज्यादा पशुधन कवर होने के साथ प्रीमियम की राशि भी कम हो सकेगी।
उत्तरप्रदेश: पांच लाख रुपए तक का बीमा
यहां भी राज्य सरकार की ओर से पशुधन का सब्सिड़ी देकर बीमा कराया जा रहा है। सरकार की ओर से बीमित पशु की मौत पर पांच लाख रुपए तक मुआवजा देने का प्रावधान है।
कांग्रेस की नीति और नियत में खोट: भाजपा
कांग्रेस की नीति और नियत में खोट की वजह से किसान, मजदूर, पशुपालक, युवा सहित सभी वर्ग परेशान है। सरकार ने कर्जामाफी का वादा कर सत्ता हासिल कर ली। अब तक किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ है। केन्द्र सरकार की ओर से सभी राज्यों को एक समान प्रीमियम राशि दी जा रही है। इसके बाद भी प्रदेश में तीन साल से पशुधन की बीमा योजना बंद है। जबकि भाजपा के शासन के समय में भामाशाह बीमा योजना संचालित थी, सरकार ने चुपके से इसको बंद कर दिया।
हरिराम रणवां, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा किसान मोर्चा