विद्यालय ज्यादा तथा प्रेक्टिकल लेने वाले शिक्षक कम होने के कारण एक ही दिन में दो से तीन विद्यालयों में प्रेक्टिकल लिए जा रहे हैं। जबकि नियमानुसार एक विद्यालय में प्रेक्टिकल लेने वाले शिक्षक को लगभग सात घंटे रुकना अनिवार्य है। राजकीय उमावि शाहपुरा में शारीरिक शिक्षक रिछपाल सिंह बगडिय़ा को भी करीब 40 से अधिक विद्यालयों में प्रायोगिक परीक्षा लेने के लिए परीक्षक नियुक्त कर दिया गया है। जबकि चित्रकला के प्रायोगिक चित्रकला विषय का शिक्षक ही ले सकता है। प्राध्यापक चित्रकला के लिए चित्रकला विषय में पीजी डिग्री अथवा स्नातक के साथ पांच साल का पढ़ाने का अनुभव अनिवार्य है।
इतना समय देना अनिवार्य
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के निर्देशानुसार चित्रकला प्रायोगिक परीक्षा की अवधि छह घंटे ही होगी। जिसमें से वस्तु चित्रण की प्रायोगिक परीक्षा तीन घंटे की तथा चित्र संयोजन की परीक्षा तीन घंटे की होगी। खण्ड अ और ब की परीक्षा एक ही दिन में होगी। अ और ब के बीच में आधा घंटे का अंतराल होना चाहिए। परीक्षक को प्रायोगिक से एक घंटे पहले आना अनिवार्य है।
ऐसे में एक शिक्षक को कम से कम साढ़े सात घंटे देने अनिवार्य हैं। एक दिन में अधिकतम 90 विद्यार्थियों के प्रायोगिक लिए जा सकते हैं। प्रायोगिक की अवधि 25 जनवरी से 24 फरवरी तक निर्धारित है। एक शिक्षक इस अवधि में तीस से कम विद्यालयों में ही प्रायोगिक ले सकता है। जबकि शिक्षकों के पास चालीस से अधिक विद्यालय है। ऐसे में वे नियमानुसार प्रायोगिक लेने के बजाय एक तरह से भ्रमण जैसा हो जाएगा।
अधिकारियों ने कहा…
-जिले में चित्रकला की प्रायोगिक परीक्षा लेने के लिए कितने परीक्षक लगा रखे हैं, इसकी मुझे फिलहाल कोई जानकारी नहीं है। अभी मैं जरूरी कार्य कर रहा हूं। हम बोर्ड की ओर से तय नियमों के अनुसार ही प्रायोगिक ले रहे हैं।
जगदीश प्रसाद शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक
-बारहवीं चित्रकला की प्रायोगिक परीक्षा में नियमों को ताक पर रख दिय है। शारीरिक शिक्षक को भी चित्रकला के प्रायोगिक लेने में लगा दिय है। हमने इसकी शिकायत जिला कलक्टर व माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सचिव को भी की गई है।
सतवीर सिंह भास्कर, अध्यक्ष,निजी अध्यापक संघ, सीकर।