सीकरPublished: Mar 02, 2021 05:37:21 pm
Suresh
राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जूनियर स्पर्धाओं में मेडल जीतने वाले खिलाड़ी पात्र नहींइंटरनेशनल खिलाडिय़ों को आउट ऑफ टर्न नौकरी देने का मामला
सरकार की दोगली नीति से जूनियर खिलाड़ी आउट
सीकर. अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय खिलाडिय़ों को आउट ऑफ टर्न नौकरी देने की योजना सरकार की दोगली नीति के चलते विवादों में आ गई है। विश्वकप, ओलंपिक, विश्व चैम्पियनशिप, एशियन गेम्स के साथ नेशनल स्तर पर मेडल जीतने वाले 153 खिलाडिय़ों को सरकार ने भले ही नौकरी तोहफा दिया हो, लेकिन इंटरनेशनल स्तर पर पदक जीतने वाले जूनियर खिलाडिय़ों को नौकरी के फायदे से धीरे से आउट कर दिया है। राजस्थान सरकार के खेल विभाग ने इस मामले को लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय में पेश याचिका पर भी जवाब देकर कह दिया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जूनियर स्पर्धाओं में मेडल जीतने वाले खिलाड़ी इसके लिए पात्र नहीं है।
मैडल की चमक में सरकार का अंतर
देश के लिए खेलने वाले खिलाडिय़ों के मेडल की चमक में सरकार का अंतर करना खिलाडिय़ों के साथ खेल संघों से जुड़े लोगों को भी समझ में नहीं आ रहा है। इसकी वजह यह है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जूनियर और सीनियर खेलों वल्र्ड चैम्पियनशिप का आयोजन चार वर्ष में होता है। नेशनल खेलों की बजाय इसके कड़े नियम होते हैं। लेकिन सरकार की ओर से दी जा रही आउट ऑफ टर्न नौकरी के मामले में जूनियर खिलाडिय़ों को वंचित कर दिया गया है।
अधिसूचना में ही छोड़ दिया था पेच
सरकार ने खिलाडिय़ों को आउट ऑफ टर्न नौकरी देने की योजना की अधिसूचना में ही पेच छोड़ दिया था। अधिसूचना में ए, बी और सी कै टेगिरी बनाई थी। ऐसे में माना जा रहा था कि सभी खिलाडिय़ों को इसका फायदा मिलेगा। सरकार के खेल मंत्री ने भी इसमें सहमति जताई थी। इस बीच नेशनल मेडलिस्ट मानिनी कौशिक ने अधिसूचना को लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका पेश की। इस पर न्यायालय ने सरकार से जवाब मांगा। कौशिक का कहना है कि सरकार बाहर से भले ही जूनियर और सीनियर खिलाडिय़ों में किसी तरह का भेदभाव नहीं करने की बात कहती हो, लेकिन खेल विभाग की ओर से पेश किए जवाब में जूनियर खिलाडिय़ों को योग्य नहीं माना गया है।
रेलवे की नीति सही
खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करने के लिए आउट ऑफ टर्म नौकरी देने की रेलवे की नीति देश में सबसे मजबूत मानी जाती है। यहां पर जूनियर और सीनियर खेल एक ही नीति में हैं। ऐसे में यहां किसी तरह का भेदभाव नहीं होता। लेकिन प्रदेश में सरकार की ओर से यह भेदभाव करने से नेशनल के छोटे खेलों में पदक जीतने वाले खिलाड़ी को इसका फायदा मिल सकता है और जूनियर वर्ग की वल्र्ड चैम्पियनशिप में भाग लेने वाला खिलाड़ी इस लाभ से वंचित रह सकता है।
खिलाडिय़ों के साथ भेदभाव गलत
सरकार के जूनियर और सीनियर खिलाडिय़ों के बीच में इस तरह का भेदभाव करना गलत है। सरकार को जूनियर खिलाडिय़ों को भी रेलवे की खेल नीति की तरह नियुक्ति देनी चाहिए। खिलाड़ी चाहे कोई भी हो वह हमेशा देश व राज्य के लिए ही खेलता है। ऐसे में जूनियर खिलाडिय़ों को आउट आफ टर्न के कोटे में नौकरी नहीं देना गलत है।
दिव्य गजराज, राजस्थान अंडर 19 क्रिकेट टीम कप्तान
सरकार निकाले कोई राह
राज्य सरकार की आउट ऑफ टर्न नौकरी देने की पहल तो अच्छी है। लेकिन जूनियर खिलाडिय़ों के लिए भी राह निकालनी होगी। जब तक राज्य सरकार जूनियर खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित नहीं करेगी तो कैसे खेलों से जुड़ाव मजबूत होगा।
जगदीश फौजी, अध्यक्ष, जिला कबड्डी संघ