भीड़ की वजह से मिट जाते हैं फुट व चांस प्रिंट
वारदात के बाद पुलिस की प्राथमिकता मौके को सील करना होता है। इसके बाद डॉग स्क्वायड, एमओबी और एफएसएल टीम को बुलाना होता है। जिससे मौके से वैज्ञानिक सबूत एकत्र किए जा सके। लेकिन अधिकतर मामलों में पुलिस से पहले ही मौका देखने के बहाने आसपास के लोग एकत्र हो जाते हैं। ऐसे में वहां फुट प्रिंट और चांस प्रिंट मिट जाते हैं। ऐसी परिस्थितियों में भी जुनून का अनूठा अनुसंधान मददगार साबित होता है।
यों तैयार होती है अपराधियों की कुंडली
जानकारों का मानना है कि चोरी, नकबजनी और लूट की वारदातों में डॉग स्क्वायड, एमओबी और एफएसल की भरपूर मदद ली जाएं तो पुलिस के पास अपराधियों का डाटा एकत्र हो जाएगा और वारदात होने के बाद इनके मिलान से ही अपराधी की पहचान हो सकेगी। नियमानुसार किसी भी अपराधी के गिरफ्तार होने पर उसके फिंगर प्रिंट लिए जाने का प्रावधान है। ऐसे में यह अपराधी जेल से बाहर आने के बाद वारदात करता है और मौके पर उसके फिंगर या चांस प्रिंट का मिलान हो जाता है तो पुलिस को अपराधी की पहचान में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती।
बड़ी वारदातों में भेजते हैं…
पुलिस सभी तरह की वारदातों में वैज्ञानिक अनुसंधान को महत्व देती है। सीकर पुलिस की डॉग स्क्वायड टीम में प्रशिक्षित डॉग है। बड़ी वारदातों में इसे भेजा जाता है। इसे लेकर थानाधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।
कुंवर राष्ट्रदीप
पुलिस अधीक्षक, सीकर