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देश के लिए कुछ भी कर गुजरने का ऐसा जज्बा, इस जांबाज ने एक के बाद एक 15 घुसपैठियों को उतारा था मौत के घाट

locationसीकरPublished: Jul 26, 2019 04:28:25 pm

Submitted by:

Naveen

Kargil Vijay Diwas : 1971 में भारत पाक युद्धकाल में हरिपुरा गांव में जन्में श्योदाना राम ( Martyr Shyodanaram ) के जहन में देशभक्ति का जज्बा भी मानों जन्म से ही पला था।

Kargil Vijay Diwas : 1971 में भारत पाक युद्धकाल में हरिपुरा गांव में जन्में श्योदाना राम ( Martyr Shyodanaram ) के जहन में देशभक्ति का जज्बा भी मानों जन्म से ही पला था।

देश के लिए कुछ भी कर गुजरे का ऐसा जज्बा… इस जांबाज ने एक के बाद एक 15 घुसपैठियों को उतारा था मौत के घाट

सीकर.
Kargil Vijay Diwas : 1971 में भारत पाक ( 1971 India Pakistan War ) युद्धकाल में हरिपुरा गांव में जन्में श्योदाना राम ( Martyr Shyodanaram ) के जहन में देशभक्ति का जज्बा भी मानों जन्म से ही पला था। बालपन से ही उसे तिरंगे से बेहद लगाव था। देशभक्ति के कार्यक्रमों में वह चाव से भाग लेकर भाव से अभिनय करता था। उम्र बढऩे के साथ ही देशभक्ति का यह ज’बा भी जवान होता गया। जो 20 साल की उम्र में ही 1991 की सेना भर्ती के जरिए उसे 17 जाट रेजीमेंट में सिपाही पद तक ले गया। लेकिन, यह तो मुकाम था।

भारत माता के लिए कुछ कर गुजरने की मन में ठानी मंजिल अभी बाकी थी। जिसका जिक्र वह छुट्टियों में घर लौटने पर अक्सर यार-दोस्तों में करता। कहता- ’कुछ ऐसा कर जाउंगा कि सब याद रखेंगे’। आखिरकार 1999 के करगिल युद्ध ( Kargil war in 1999 ) में उसने कही कर भी दिखाई। 7 जुलाई को मोस्का पहाड़ी स्थित पाकिस्तानी घुसपैठियों का आसान निशाना होने पर भी दुर्गम चट्टानों को पार करते हुए इस जांबाज ने अपनी पलटन के साथ एक के बाद एक 15 घुसपैठियों को मौत के घाट उतार दिया। लेकिन, जैसे ही वह सैनिक चौकी पर भारतीय झंडा फहराने के मुहाने पर था, इसी दौरान दुश्मन के एक आरडी बम के धमाके ने उसे हमेशा के लिए मौन कर दिया। जिस तिरंगे से उसे सबसे ’यादा प्रेम था उसी में लिपटी उसकी पार्थिव देह अगले दिन घर पहुंची। जिसे नमन करने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा।

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बेटों को भी सेना में भेजने की चाह
श्योदाना राम की अपने दोनों बेटों को भी सेना में भेजने की इ‘छा थी। जिसे पूरा करने की चाह वीरांगना भंवरी देवी के साथ दोनों बेटों संदीप और प्रदीप ने भी पाल रखी है। संदीप बीटेक कर सेना में अफसर पद पर तो प्रदीप भी सेना से संबंधित प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटा है।

शहीद से पूछकर निकलते हैं घर से बाहर
श्योदाना राम को शहीद हुए 20 साल हो गए। लेकिन, आज भी वह परिवार में मुखिया की भूमिका में है। घर से अंदर- बाहर के रास्तों पर सामने ही परिवार ने श्योदाना राम की तस्वीर लगा रखी है। जिसके सामने परिवार के सदस्य अपने घर से आने और बाहर जाने की सूचना देते हैं। शहीद की याद परिवार के जहन के साथ घर के जर्रे जर्रे में नजर आती है।

 

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