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विधानसभा में गूंजा खाटूश्यामजी मंदिर विवाद, अधिग्रहण की उठी मांग

locationसीकरPublished: Mar 04, 2021 11:31:01 am

Submitted by:

Sachin

बाबा श्याम के मेले से पहले खाटूश्यामजी मंदिर कमेटी (Khatushyamji fair 2021) विवादों के घेरे में है। कोरोनाकाल में बिना अनुमति के दानपात्र लगाने के मामले में देवस्थान विभाग अब पूरी तरह सख्त हो गया है।

विधानसभा में गूंजा खाटूश्यामजी मंदिर विवाद, अधिग्रहण की उठी मांग

विधानसभा में गूंजा खाटूश्यामजी मंदिर विवाद, अधिग्रहण की उठी मांग

सीकर. बाबा श्याम के मेले से पहले खाटूश्यामजी मंदिर कमेटी विवादों के घेरे में है। कोरोनाकाल में बिना अनुमति के दानपात्र लगाने के मामले में देवस्थान विभाग अब पूरी तरह सख्त हो गया है। देवस्थान विभाग ने राजस्थान सार्वजनिक प्रन्यास अधिनियम 1969 की धारा 38 के तहत मंदिर ट्रस्ट व पूर्व अध्यक्ष मोहनदास चौहान को नोटिस जारी कर दिया है। दोनों पक्षों की 17 मार्च को सुनवाई होनी है। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद देवस्थान विभाग फैसला सुनाएगा। बिना अनुमति के दान पात्र लगाने के मामले को देवस्थान विभाग ने अनियमितता की श्रेणी में माना था। इसके बाद विभाग के आयुक्त राजेन्द्र भट्ट ने धारा 38 के तहत कार्रवाई के लिए सहायक आयुक्त महेन्द्र देवतवाल को निर्देश दिए। इस पर सहायक आयुक्त की ओर से नोटिस जारी किए गए है। ऐसे में अब खाटू मंदिर ट्रस्ट की चुनौती बढ़ गई है। इधर, विधानसभा में भी बुधवार को खाटूमंदिर ट्रस्ट की मनमानी और बदइंतजामी का मामला दांतारामगढ़ विधायक वीरेन्द्र सिंह ने उठाया। उन्होंने भी मंदिर का जल्द अधिग्रहण करने की मांग की है।

तो बन सकता है टेम्पल बोर्ड
यदि देवस्थान विभाग मंदिर ट्रस्ट के तर्को से सहमत नहीं होता है तो टेम्पल बोर्ड बनने की दिशा में विभाग की ओर से कदम आगे बढ़ाए जाएंगे। देवस्थान विभाग अपने फैसले के बाद जिला न्यायालय व जिला कलक्टर को भी इस मामले की सूचना देगा।


देवस्थान विभाग ने नोटिस में लिखा: कमेटी की मंशा आय को खुर्द बुर्द करने की प्रतीत होती है
देवस्थान विभाग की ओर से श्याम मंदिर कमेटी को जारी नोटिस में बताया कि मंदिर परिसर में अतिरिक्त भेंट पात्र विभाग की जानकारी में लाए बिना लगाए जो अनियमिता की श्रेणी में आते है। इन भेंट पात्रों पर विभाग का ताला लगवाने के लिए ट्रस्ट की ओर से निरीक्षक को नहीं बुलाया गया। जबकि विधानसभा की याचिका समिति के निर्णय के अनुसार वर्ष 2000 में दान पात्रों पर ताले लगाए गए थे, इसके बाद से यह व्यवस्था लगातार जारी है। विभाग ने इस कार्य न्यास हितों के विपरित माना है। विभाग ने नोटिस में लिखा कि न्यास का यह कृत्य न्याय की आय को खुर्द-बुर्द किए जाने की मंशा प्रतीत होती है। विभाग ने ट्रस्ट से मंदिर परिसर में लगे सीसीटीवी की रेकॉडिंग को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए है।


विधायक सदन में बोले, बीआईपी के नाम पर लूट
दांतारामगढ़ विधायक वीरेन्द्र सिंह ने कहा कि खाटूश्याम में देश-दुनिया के भक्त आते है। यहां आने वाले भक्तों को कई तरह की बदइंतजामी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि बीआईपी दर्शनों के नाम पर लूट का खेल जारी है। इस कारण भक्त यहां की पवित्र धरती से गलत मैसेज भी लेकर जा रहे है। पिछले दिनों समाचार पत्रों में मंदिर ट्रस्ट के देवस्थान विभाग की बिना अनुमति के दानपात्र लगाने का मामला उठाया था। इस मामले की सरकार को उच्चस्तरीय जांच करानी चाहिए। खाटूश्यामजी ट्रस्ट की ओर से सम्पति को खुर्द-बुर्द करने के मामले भी सामने आ रहे है। ऐसे में मेले से पहले सरकार को मंदिर को अधिग्रहण करना चाहिए।


पत्रिका ने सबसे पहले किया खुलासा
खाटूश्यामजी मंदिर ट्रस्ट के बिना देवस्थान विभाग की अनुमति के दानपात्र लगाने के मामले का सबसे पहले राजस्थान पत्रिका ने खुलासा किया। पत्रिका के खुलासे के बाद देवस्थान विभाग ने पूरे मामले को अनियमितता की श्रेणी में मानते हुए नोटिस जारी किया था।


यहां से शुरू हुआ विवाद:

पिछले दिनों में ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष मोहनदास चौहान ने भी दानपात्र बिना ट्रस्ट के ताले लगे होने की शिकायत की थी। उन्होंने देवस्थान विभाग के अधिकारियों को साक्ष्य के तौर पर फोटो भी दिए। इसके बाद विभाग ने निरीक्षक को भेजकर मामले की जांच कराई थी। आरोप है कि ट्रस्ट ने पहले तथ्यों को छिपाने की कोशिश की। इससे पहले कोरोनाकाल में मंदिर के पट होने के बाद भी भक्तों को दर्शन कराने का वीडियो वायरल हुआ था। इस पर दांतारामगढ़ उपखंड अधिकारी की ओर से ट्रस्ट पर पांच हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था।

अनियमितता मिली थी…इसलिए कार्रवाई: आयुक्त

खाटू मंदिर ट्रस्ट के मामले में धारा 38 के तहत कार्रवाई के निर्देश सहायक आयुक्त को दिए गए है। पिछले दिनों मंदिर ट्रस्ट ने बिना अनुमति के दान पेटी लगा ली थी। यह सीधे तौर पर अनियमितता की श्रेणी में आता है। इसलिए विभाग की ओर से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
राजेन्द्र भट्ट, आयुक्त, देवस्थान विभाग

दोनों पक्षकारों को नोटिस जारी: सहायक आयुक्त

राजस्थान सार्वजनिक प्रन्यास अधिनियम 1969 की धारा 38 के तहत दोनों पक्षों को नोटिस जारी किए है। 17 मार्च को सुनवाई होनी है। इसके बाद कोई निर्णय लिया जाएगा।

महेन्द्र देवतवाल, सहायक आयुक्त, देवस्थान विभाग

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