दसअसल जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है वैसे-वैसे श्वानों की परेशानी भी बढऩे लगती है। इस दौरान श्वान अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक खूंखार हो जाते हैं। अस्पतालों से मिले आंकड़ों के मुताबिक अप्रेल माह में सबसे अधिक श्वान काटने के मामले पहुंचते हैं।
पशु चिकित्सक बताते हैं कि दरअसल श्वानों में पसीना निकलने वाला ग्रंथि नहीं होती है, जिसके कारण उसका शरीर और भी अधिक गर्म हो जाता है। इतना ही नहीं श्वानों को ठंडी जगह भी नहीं मिल पाती। प्यास बुझाने के लिए भी भटकना होता है। भूख भी लगी होती है। जमीन गर्म होने से श्वानों के पैरों का तलवा भी जलता है और पैर में छाले पड़ जाते हैं। इन सब से वे अधिक खूंखार हो जाते हैं।
टोडा गांव में बंदरों व श्वानों का आतंक दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। शनिवार देर रात एक पागल श्वान ने दो लोगों को घायल कर दिया। जानकारी के अनुसार घाटीवाला बालाजी मंदिर के पास एक पागल श्वान ने तीन लोगों पर हमला कर घायल कर दिया। धाम के संत संतोष गिरी व अन्य व्यक्ति किशन यादव को शनिवार देर रात पागल श्वान ने हमला कर दिया, जिससे दोनों घायल हो गए। घायलों का उपचार कराया यगा। श्वान ने संत संतोष गिरी को कई जगहों पर काट दिया। रविवार सुबह श्वान ने ब्रेड बेचने वाले बाइक सवार पर हमला कर घायल कर दिया। बाइक से नीचे गिरने पर श्वान ने फिर हमला कर घायल करने लगा तो बाइक सवार ने हाथों से श्वान के मुंह को दबा लिया और जोर-जोर से चिल्लाने लगा। बाइक सवार के चिल्लाने की आवाज सुनकर आसपास के लोग दौडकऱ मौके पर पहुंचे और श्वान के चंगुल से छुड़वाया।