१. परमिशन : डॉ. सुरेंद्र भास्कर ने बताया कि कंट्रोल रूम में अधिकतर फोन बाहर आने-जाने की परमिशन के लिए आ रहे है। लॉक डाउन होने के बावजूद लोग बाहर जाने के लिए इजाजत मांग रहे है। उन्होंने बताया कि अलवर का एक बच्चा सीकर में कोचिंग करता था। उसके पिता तीन दिनों से फंसे हुए थे। उन्होंने फोन कर समस्या बताई तो उनका पास बनवाया गया। उन्होंने बताया कि ऐसे ही मुंबई, अहमदाबाद के अलवा कई शहरों से सीकर में आने वाले लोग भी सीकर में आने की परमिशन मांग रहे है।
२. सूचना : कंट्रोल रूम में सूचना लेने के लिए भी फोन आ रहे है। जो लोग दुबई, सउदी अरब के अलावा कई देशों से लौट कर आ रहे है। काफी संख्या में कंट्रोल रूम में ऐसे लोगों की सूचना देने के लिए फोन कर रहे है। कंट्रोल रूम में बैठे कर्मचारी स्वास्थ्य विभाग की टीम भेज कर जांच करा रहे है। साथ ही कालोनियों में छिड़काव किए जाने की सूचना देने के भी फोन आ रहे है। इसके अलावा लोग पास बनवाने के लिए भी फोन कर रहे है।
३. सहायता : लॉक डाउन होने के बाद से काफी लोगों के फोन सहायता दिए जाने के लिए आ रहे है। कई लोग गरीब व मजदूरों को खाने के पैकेट व अन्य सामग्री उपलब्ध कराने की बात कह रहे है। साथ ही लोग प्रशासन की भी मदद कराने के लिए भी बोल रहे है। ऐसे में उन लोगों के पास बनवाने की बात कहीं जा रही है।
४. सरकारी छुट्टिया : लॉक डाउन होने के बाद सरकारी कर्मचारियों को घर भेज दिया था। उन्हें आवश्यकता पडऩे पर तुरंत बुलाने की भी बात कहीं थी। कंट्रोल पर काफी सरकारी कर्मचारी फोन कर जानकारी मांग रहे है। आइसोलेट किए जाने पर कर्मचारियों की डयूटियां लगाई जा रही है। ये कर्मचारी छुट्टियों को लेकर काफी संशय में है।