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VIDEO. दर्दभरी दास्तां: खाड़ी देश के अस्पताल में मौत से जूझ रहा मजदूर, पास पैसा ना परिवार

locationसीकरPublished: Jul 11, 2020 10:44:13 pm

Submitted by:

Sachin

सीकर. खाड़ी देश दोहा में फंसे एक मजदूर युवक की बेबसी और सरकार की बेदर्दी की यह बेहद बेचैन करने वाली दास्तां है।

मौत से पहले मजदूर बेटे ने दोहा के अस्पताल से की प्रधानमंत्री मोदी से वतन वापसी की गुहार

मौत से पहले मजदूर बेटे ने दोहा के अस्पताल से की प्रधानमंत्री मोदी से वतन वापसी की गुहार

सीकर.खाड़ी देश दोहा में फंसे एक मजदूर युवक की बेबसी और सरकार की बेदर्दी की यह बेहद बेचैन करने वाली दास्तां है। दोहा कतर की एक कंपनी में मजदूरी करने वाले सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ के दिसनाऊ गांव का सुरेन्द्र कुमावत दोनों किडनी खराब होने पर दो महीने से अस्पताल में मौत से जंग लड़ रहा है। पिछले साल ही शादी कर घर बसाकर लौटे 29 वर्षीय सुरेन्द्र के पास वहां न परिवार है और ना ही पैसा। आवश्यक उपचार भी नहीं मिल रहा। काम देने वाली कंपनी ने भी मुंह मोड़ लिया है। हालात यह हो गए हैं कि सूजन से शरीर का हिलना- डुलना तक बंद हो गया है। इस जर्द हालत में भी बार-बार की गुहार के बाद भी केंद्र सरकार कोई सुनवाई नहीं कर रही। दोहा में इसी कंपनी में काम कर रहे सांवली निवासी रामनिवास सैनी ने सुरेंद्र का एक वीडियो भेजा है। जिसमें उसने प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री से घर वापसी की करुण अपील की है। जिसमें वह कह रहा है कि उसकी हालत दिनों दिन बहुत खराब हो रही है। सही उपचार नहीं मिलने के साथ कंपनी भी उसे नहीं संभाल रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी व विदेश मंत्री उसकी मदद करें। वीडियो में आर्थिक हालत बताते हुए सुरेन्द्र यह भी कह रहा है कि कंपनी उसे वतन भेजने के लिए 60 हजार रियाल (करीब 12 लाख) मांग रही है। जबकि उसके पास एक पैसा भी नहीं है। वह कह रहा है कि घर बार बेचने पर भी इतना नहीं जुटा सकते।

 

दूतावास से भी नहीं मिल रही मदद


रामनिवास सैनी ने बताया कि दो महीने पहले पेट में दर्द पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया था। लिवर में इन्फेक्शन बताते हुए उसका उपचार शुरू किया गया। लेकिन दिनों दिन हालत बिगड़ती गई और अब चिकित्सक लीवर व दोनों किडनी खराब होने की बात कह रहे हैं। बकौल रामनिवास अस्पताल में वह अकेला ही रहता है। कोई सार संभाल करने वाला तक नहीं है। भारतीय दूतावास में भी बात करने की कोशिश की, लेकिन वहां से भी उचित सहयेाग नहीं मिल रहा।


घर में पड़े खाने के लाले

सुरेन्द्र के घर में बूढी मां के अलावा 10 साल का भाई, 12 साल की बहन व पिछले साल ही ब्याह कर आई पत्नी है। दो महीने से रुपये नहीं मिलने पर यहां परिवार की आर्थिक हालत भी डांवाडोल हो रही है। परिजनों को बेटे के साथ पेट की भी चिंता सता रही है।

सांसद ने दो बार लिखा पत्र

सुरेन्द्र की वतन वापसी के लिए सीकर सांसद सुमेधानंद सरस्वती विदेश मंत्री डा. एस जयशंकर को दो बार पत्र लिख चुके हैं। 25 जून व 8 जुलाई को दो बार पत्र भेजने के बाद भी मामले में विदेश मंत्रालय ने अब तक कोई कार्यवाही नहीं की है।

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