दूतावास से भी नहीं मिल रही मदद
रामनिवास सैनी ने बताया कि दो महीने पहले पेट में दर्द पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया था। लिवर में इन्फेक्शन बताते हुए उसका उपचार शुरू किया गया। लेकिन दिनों दिन हालत बिगड़ती गई और अब चिकित्सक लीवर व दोनों किडनी खराब होने की बात कह रहे हैं। बकौल रामनिवास अस्पताल में वह अकेला ही रहता है। कोई सार संभाल करने वाला तक नहीं है। भारतीय दूतावास में भी बात करने की कोशिश की, लेकिन वहां से भी उचित सहयेाग नहीं मिल रहा।
घर में पड़े खाने के लाले
सुरेन्द्र के घर में बूढी मां के अलावा 10 साल का भाई, 12 साल की बहन व पिछले साल ही ब्याह कर आई पत्नी है। दो महीने से रुपये नहीं मिलने पर यहां परिवार की आर्थिक हालत भी डांवाडोल हो रही है। परिजनों को बेटे के साथ पेट की भी चिंता सता रही है।
सांसद ने दो बार लिखा पत्र
सुरेन्द्र की वतन वापसी के लिए सीकर सांसद सुमेधानंद सरस्वती विदेश मंत्री डा. एस जयशंकर को दो बार पत्र लिख चुके हैं। 25 जून व 8 जुलाई को दो बार पत्र भेजने के बाद भी मामले में विदेश मंत्रालय ने अब तक कोई कार्यवाही नहीं की है।