जिला मुख्यालय से रैवासा- जीणमाता सडक़ मार्ग पर अरावली वृक्षारोपण के तहत सडक़ किनारे पौधारोपण किया गया है। पौधारोपण के बाद इस क्षेत्र को दांतारामगढ़ पंचायत समिति के अधीन पंचायत को सौंप दिया गया। कुछ समय तो इन पौधों की देखरेख की गई। इसके बाद पंचायत ने इन्हे पौधों को भगवान भरोसे छोड़ दिया। जैसे-जैसे आबादी सवाई चक क्षेत्र की ओर बढऩे लगी। सक्रिय भूमाफिया सवाईचक भूमि पर अतिक्रमण की मंशा से इन पेडों को जलाकर क्षेत्र को समतल करना शुरू कर दिया।
कागजों में हरियाली
हर साल मानसून के सीजन में वन विभाग सहित विभिन्न विभागों की ओर से पौधरोपण कराया जाता है। पंचायतों में पौधरोपण के लिए पौधों का प्रतिशत निर्धारित किया जाता है। पंचायत की ओर से सवाई चक भूमि में पौधरोपण किया जाता है।
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सीकर जिले में हर साल औसतन 8 से 12 लाख तक पौधे लगाए जाते हैं। ये पौधे विभिन्न विभागों को दिए जाते हैं लेकिन हकीकत यह है कि जितने पौधे पिछले एक दशक में बांटे गए हैं उतने पौधे लग जाते हैं तो जिला पूरी तरह हरा-भरा हो जाता लेकिन हरियाली का प्रतिशत कागजों में बढ़ दिया जाता है।
राष्ट्रीय वन नीति के तहत कुल वन क्षेत्र का 33 प्रतिशत भाग हरियाली से आच्छादित होना जरूरी है। वहीं राज्य वन नीति के तहत 20 प्रतिशत क्षेत्र वन क्षेत्र होना जरूरी है। लेकिन सीकर जिले में फोरेस्ट सर्वे के अनुसार हरियाली का प्रतिशत 16 है। जो कि अभी भी तीन प्रतिशत तक कम है।
डोल रहे जिम्मेदार
अरावली परियोजना के तहत जिले में विभिन्न पंचायतों में चारागाह क्षेत्र में जूली फ्लोरा के पौधे लगाए गए। पांच साल तक सरंक्षण करने के बाद पंचायत को हैंडओवर कर दिया गया। वन विभाग का कहना है कि देखरेख का जिम्मा वन विभाग का कहना है पौधे पंचायत को सही स्थिति में दिए गए थे ऐसे में देखरेख का जिम्मा भी पंचायत प्रशासन का है वहीं पंचायत प्रशासन का तर्क है कि सवाई चक में लगाए गए पौधे की देखरेख संबंधित पंचायत की ओर से की जाती है।
नहीं है वन क्षेत्र
पौधे सवाईचक भूमि में लगे हुए हैं। जिनका जिम्मा पंचायत समिति का है। वन क्षेत्र में यह पौधे नहीं है। -श्रवण झाझडिया, रेंजर, सीकर