एसके अस्पताल में कम्पोनेंट यूनिट को किया जायेगा लाइसेंस जारी, अब एक साथ बचा सकेंगे चार जिंदगी
इसके लिए टीम लाइसेंस मिलने के बाद पूर्व में संचालित ब्लड बैंक को बंद करने का शपथ पत्र लिया है।

सीकर. चुनावी साल आते ही एसके अस्पताल में ट्रोमा यूनिट के ऊपर ब्लड कंपोनेंट सेंटर को लाइसेंस मिलने की राह खुल गई है। गाजियाबाद से आई टीम ने दूसरे निरीक्षण के दौरान कम्पोनेंट यूनिट में सेपरेशन यूनिट पेरीसिस सहित अन्य उपकरणों की कमी व यूनिट के लिए महज दो माह के प्रशिक्षण को सही नहीं माना। इन कमियों की पूर्ति के लिए एक साल तक ब्लड कम्पोंनेट में काम कर चुके टेक्निकल सुपरवाइजर की नियुक्ति की सिफारिश की है। नियुक्ति होने और कमियां दुरस्त होते ही कम्पोनेंट यूनिट को लाइसेंस जारी कर दिया जाएगा। इसके लिए टीम लाइसेंस मिलने के बाद पूर्व में संचालित ब्लड बैंक को बंद करने का शपथ पत्र लिया है।
बचा सकेंगे चार जिंदगी
ब्लड बैंक के सत्येंद्र सिंह कुड़ी ने बताया कि वर्तमान में एक यूनिट ब्लड एक ही रोगी के काम आता है। लेकिन, सेंटर शुरू होने के बाद यहां ब्लड के कंपोनेंट अलग-अलग किए जा सकेंगे। एक यूनिट से प्लाज्मा अलग, पैक्डरेड सेल अलग, प्लेटलेट्स अलग व फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा को भी अलग से निकाला जा सकेगा। एक यूनिट से दो या तीन मरीजों का इलाज हो सकेगा। ब्लड ट्रांसफ्यूजन रिएक्शनरेट बहुत कम हो जाएगी। ब्लड चढ़ाने से कई बार रोगी को कई तरह की दिक्कत होती थी, वह अब नगण्य हो जाएगी। प्लेटलेट्स की कमी दूर होगी। पहले प्लेटलेट्स की कमी होने पर रोगियों को रैफर करना पड़ता था, जिसकी अब नौबत नहीं आएगी।
रैफर मरीजों को फायदा
जिस रोगी में खून की मात्रा बहुत कम होती है, उसे ***** ब्लड जो पहले मिलता था, वो चढ़ाया जाना संभव नहीं होता था, ऐसे केस रेफर ही होते थे। इसमें सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाएं होती थी। छह यूनिट से नीचे वाले हिमोग्लोबिन वाले को रेफर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। रेंडम डोनर प्लेटलेट्स (आरडीपी) के अंदर ब्लड टेस्ट को ब्लड यूनिट से मशीन से अलग किया जाता है।
इसके बैग में प्लेटलेट्स की मात्रा कम होती है। सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) में एक डोनर से मशीन के जरिए प्लेटलेट्स बैग में निकाली जाएगी। बाद में ब्लड वापस उसी डोनर को चढ़ा दिया जा सकेगा। इसमें प्लेटलेट्स की मात्रा बहुत अधिक होती है। करीब चार घंटे में प्लेटलेट्स तैयार हो जाएगा। तैयारी के बाद प्लाज्मा एक साल तक, प्लेटलेट्स पांच दिन व आरबीसी 42 दिन तक काम में लिया जा सकेगा। इसके लिए अब 450 एमएल खून लिया जाएगा।
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