शहर के राजकीय कपिल चिकित्सालय के मोर्चरी भवन पर पिछले कई सालों से ताला है। अस्पताल में बनाए नए मुर्दाघर के बावजूद शवों की बेकद्री हो रही है। पुराने चीर घर में डी-फ्रिज नहीं होने से शवों बेक्रदी हो रही है। लावारिस शवों का तो और भी बुरा हाल होता है। पुलिस बर्फ की सिल्लियां लगाकर शवों को सुरक्षित करने की कोशिश में रहती है। लेकिन अस्पताल प्रशासन पूरी तरह से संवेदनहीन बना हुआ है। हालांकि जर्जर मुर्दाघर के पुराने भवन में शवों का पोस्टमार्टम हो रहा है। पिछली सरकार की ओर से शवों का बेहतर तरीके से पोस्टमोर्टम करने के लिए नया भवन बनाया गया था। लेकिन, नए मोर्चरी को बनाने के बाद से ही भवन पर ताला लगा हुआ है। अनदेखी के अभाव में लाखों रुपए की लागत से बना मोर्चरी भवन ताले में कैद है। लावारिस शवों को चीरघर में सुरक्षित रखने के लिए समाज सेवी व पुलिस मददगार बनी हुई है। पुलिस व समाज सेवी अपने खर्चे पर बर्फ की सिल्लियां मंगवाकर शवों को दो-तीन दिन मुर्दाघर में रखते हैं। शिनाख्त नहीं होने पर पालिका की और से अंतिम संस्कार कराना पड़ता है। गुरुवार को जीआरपी पुलिस ने तीन दिन बाद लावारिस शव का पालिका के सहयोग से अंतिम संस्कार करवाया है।