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कॉमन परीक्षा को लेकर खूब वादे, अब 3 हजार पद ही शामिल

locationसीकरPublished: Sep 24, 2022 06:42:58 pm

Submitted by:

Ajay

प्रदेश के 15 लाख से अधिक बेरोजगारों से सरकार ने कॉमन परीक्षा के जरिए जमकर दावे-वादे किए।

कॉमन परीक्षा को लेकर खूब वादे, अब 3 हजार पद ही शामिल

कॉमन परीक्षा को लेकर खूब वादे, अब 3 हजार पद ही शामिल

सीकर. प्रदेश के 15 लाख से अधिक बेरोजगारों से सरकार ने कॉमन परीक्षा के जरिए जमकर दावे-वादे किए। एक साल तक परीक्षा कागजों में उलझी रही। अब सरकार ने कॉमन परीक्षा अनलॉक भी हुई, लेकिन इसमें पदों की संख्या काफी कम रह गई। प्रदेश में कर्मचारी चयन बोर्ड के जरिए पहली बार होने वाले सीईटी (कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट) में शामिल होने वाले पदों की भी घोषणा कर दी है। इसके दायरे में फिलहाल आठ विभागों को शामिल किया गया है। बेरोजगारों ने इस परीक्षा के दायरे में मंत्रालयिक कर्मचारी सहित अन्य पदों को शामिल करने की मांग की है। जनवरी महीने में होने वाली महिला पर्यवेक्षक, प्लाटून कमांडर, लेखाकार व छात्रावास अधीक्षक सहित अन्य पद शामिल किए है। पहले चरण में स्नातक स्तर की परीक्षा के लिए विज्ञप्ति जारी हो गई। अब बेरोजगारों को 12 वीं पास युवाओं की सीईटी के लिए इस महीेने में ही विज्ञप्ति जारी होने की आस है। इधर, हर साल कॉमन परीक्षा होने सहित अन्य मुद्दों को लेकर बेरोजगारों में सरकार के खिलाफ नाराजगी भी है।

1. जनवरी महीने में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती, कैसे होंगे शामिल:

45 हजार पदों के लिए प्रदेश में जनवरी महीने तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती की मुख्य परीक्षा का आयोजन होना है। प्रदेश के आठ लाख से अधिक बेरोजगार पिछले कई साल से शिक्षक भर्ती के साथ छात्रावास अधीक्षक सहित अन्य पदों की तैयारी में भी जुटे है। बेरोजगारों का कहना है कि जनवरी महीने में परीक्षा होने से वह कैसे तैयारी करेंगे।

2. वैद्यता की अवधि: हर साल से

सीईटी परीक्षा की वैद्यता एक साल की रहेगी। ऐसे में बेरोजगारों की ओर से वैद्यता को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। बेरोजगारों का कहना है कि सीईटी की वैद्यता कम से कम पांच साल होनी चाहिए। इससे बेरोजगारों को हर साल परीक्षा देने से मुक्ति मिल सकेगी।

फायदा

1. पटवार भर्ती में इस बार 15 लाख से अधिक बेरोजगारों ने आवेदन किया। लेकिन यदि इसमें कॉमन परीक्षा का पैटर्न लागू होता तो आधे ही अभ्यर्थी शामिल होते। इससे सरकार को परीक्षा व्यवस्थाओं में कम पैसा खर्च करना पड़ता। वहीं बेरोजगारों को फीस नहीं देनी पड़ती।

2. अभ्यर्थियों की संख्या कम होने की वजह से परीक्षा भी समय पर हो सकेगी और परिणाम भी समय पर जारी होने की आस रहेगी।

3. साल में एक बार परीक्षा होने से हर बार स्नातक व 12 वीं पास करने वाले बेरोजगार भी इस कॉमन परीक्षा में शामिल हो सकेंगे।

नुकसान

1. यदि कॉमन परीक्षा समय पर हुई और प्रतियोगी परीक्षाएं लगातार नहीं हुई तो उस सत्र में स्नातक व बारहवीं पास के अभ्यर्थियों को नुकसान होगा।

2. कॉमन परीक्षा के बाद दुबारा परीक्षा होने की वजह से अभ्यर्थियों को फिर से तैयारी करनी पड़ेगी। बेरोजगारों की मांग है कि सरकार को कॉमन परीक्षा के स्कोर के आधार पर ही उस सत्र में आने वाले भर्तियों का चयन किया जाना चाहिए। केन्द्र सरकार इसी पैटर्न को मंजूरी देने की तैयारी में है।

स्नातक और बारहवीं के लिए अलग-अलग कॉमन परीक्षा

क्या कॉमन परीक्षा में पास होने का मतलब है कि सीधे नौकरी मिल सकेगी?

जवाब: यह सिर्फ पात्रता परीक्षा रहेगी। इसके आधार पर अभ्यर्थी कॉमन परीक्षा के दायरे में आने वाली भर्तियों के लिए पात्र घोषित होंगे। इससे सीधे नौकरी नहीं मिलेगी।

इस पैर्टन से सरकार को क्या फायदा होगा?

जवाब: फिलहाल पटवारी से लेकर एलडीसी भर्ती में लाखों बेरोजगार आवेदन करते हैं। इस वजह से सरकार को बड़े स्तर पर तैयारी करनी पड़ती है। कई बार ज्यादा अभ्यर्थियों की वजह से प्रश्न पत्र लीक सहित अन्य घटनाएं भी हो जाती है। इससे अभ्यर्थियों की बढ़ती संख्या पर सीईटी की वजह से लगाम लग सकेगी।

कॉमन परीक्षा फॉर्मूले से अभ्यर्थियों को क्या फायदा होने की उम्मीद है।

जवाब: अभ्यर्थी को मौटे तौर पर तीन तरह से फायदा होगा। हर साल स्नातक और 12 वीं के स्तर की अलग-अलग परीक्षा होने से समय की भी बचत होगी। इसके अलावा सीईटी के जरिए अपनी तैयारी का आंकलन भी कर सकेगा। अभ्यर्थी चाहे तो अंक सुधार के लिए फिर से शामिल हो सकेगा।

शिक्षक भर्ती वाले अभ्यर्थियों के लिए यह परीक्षा अनिवार्य है क्या।

जवाब: नहीं। राज्य सरकार ने फिलहाल शिक्षक भर्तियों को इस परीक्षा के दायरे में शामिल नहीं किया है।

3. पदों का गणित

 

फिलहाल सीईटी में किस विभाग के कितने पद

प्लाटून कमाण्डर 43

पटवारी जल संसाधन 272

कनिष्ठ लेखाकार 1923

तहसील राजस्व लेखाकार 198

महिला पर्यवेक्षक 176

उप जेलर 49

छात्रावास अधीक्षक 335

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