गणेश व रघुनाथ मंदिर से 96 साल पुराना
श्रीमदन मोहन मंदिर फतेहपुरी गेट स्थित विजय गणेश, रघुनाथ और गोपीनाथ मंदिर से भी पुराना है। इतिहासकार महावीर पुरोहित बताते हैं कि विजय गणेश और रघुनाथ मंदिर संवत 1840 और गोपीनाथ मंदिर संवत 1781 में बनाए गए थे। जबकि मदन मोहन मंदिर का निर्माण सीकर स्थापना के साथ 1744 में हो गया था। लिहाजा यह मूर्ति व मंदिर गोपीनाथ मंदिर से 37 और गणेश व रघुनाथ मंदिर से 96 साल पुराना है। बावजूद इसके इस मूर्तियों की चमक लगातार बरकरार है। बकौल पुरोहित मूर्ति संभवतया मथुरा से लाई गई थी।
नानी गांव की जागीर से चला खर्च
राव दौलत सिंह ने जब मंदिर को निर्माण कराया तो इस मंदिर के खर्च का मुद्दा भी उठा। इस पर राव राजा ने नानी गांव की जागीर इस मंदिर के नाम कर दी। जिससे होने वाली सारी आमदनी इस मंदिर के काम ली जाती रही। कहते हैं मंदिर के निर्माण के बाद राज्य विस्तार के साथ राज घराना समृद्ध होता चला गया।
सड़क से ढाई फीट नीचे हुआ मंदिर
श्रीमदन मोहन मंदिर की प्राचीनता का अनुमान इसकी बनावट से भी होता है। मंदिर का आधा हिस्सा समय के साथ ऊंची होती गई सड़क की वजह से करीब ढाई फीट नीचे हो गया है। जिसके एक हिस्से में प्राचीन शिव मंदिर भी है। पुननिर्माण के चलते भगवान राधा-कृष्ण की मूर्ति को ऊंचाई दे दी गई है। मंदिर की पूजा पाराशर परिवार आठ पीढियों से कर रहा है।