महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त
महाशिवरात्रि 11 मार्च, बृहस्पतिवार
निशिथ काल-11 मार्च की रात 12 बजकर 12 मिनट से 1बजकर 01 मिनट तक महाशिवरात्रि पर चार पहर की पूजा की जाती है वह इस प्रकार है
रात्रि प्रथम प्रहर-11 मार्च शाम 06 बजकर 29 मिनट से 09 बजकर 32 मिनट तक
रात्रि द्वितीय प्रहर-11 मार्च की रात 9 बजकर 33 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट तक
रात्रि तृतीय प्रहर-11 मार्च की रात 12 बजकर 37 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक
रात्रि चतुर्थ प्रहर-मध्यरात्रि बाद 03 बजकर 41 मिनट से सुबह 06 बजकर 43 मिनट तक
शिवरात्रि पारण समय 12 मार्च की सुबह 06 बजकर 34 मिनट से शाम 3 बजकर 02 मिनट तक
महाशिवरात्रि 11 मार्च, बृहस्पतिवार
निशिथ काल-11 मार्च की रात 12 बजकर 12 मिनट से 1बजकर 01 मिनट तक महाशिवरात्रि पर चार पहर की पूजा की जाती है वह इस प्रकार है
रात्रि प्रथम प्रहर-11 मार्च शाम 06 बजकर 29 मिनट से 09 बजकर 32 मिनट तक
रात्रि द्वितीय प्रहर-11 मार्च की रात 9 बजकर 33 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट तक
रात्रि तृतीय प्रहर-11 मार्च की रात 12 बजकर 37 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक
रात्रि चतुर्थ प्रहर-मध्यरात्रि बाद 03 बजकर 41 मिनट से सुबह 06 बजकर 43 मिनट तक
शिवरात्रि पारण समय 12 मार्च की सुबह 06 बजकर 34 मिनट से शाम 3 बजकर 02 मिनट तक
महाशिवरात्रि व्रत का महत्व
महाशिवरात्रि के दिन शिवजी की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। अगर कन्या का विवाह काफी समय न हो रहा हो या किसी भी तरह की बाधा आ रही हो तो उसे महाशिवरात्रि का व्रत करना चाहिए। इस स्थिति के लिए यह व्रत बेहद फलदायी माना गया है। इस व्रत को करने से भगवान शिव का आर्शीवाद का प्राप्त होता है। साथ ही सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
महाशिवरात्रि के दिन शिवजी की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। अगर कन्या का विवाह काफी समय न हो रहा हो या किसी भी तरह की बाधा आ रही हो तो उसे महाशिवरात्रि का व्रत करना चाहिए। इस स्थिति के लिए यह व्रत बेहद फलदायी माना गया है। इस व्रत को करने से भगवान शिव का आर्शीवाद का प्राप्त होता है। साथ ही सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।