scriptसीकर एक्सीडेंट: कोई सुहाग की चूडिय़ां बेचने जा रहा था तो किसी ने खोया अपना सुहाग, ऐसा गम जो कभी भुलाया नहीं जा सकता, जानें हादसे की अनसुनी कहानी… | Patrika News
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सीकर एक्सीडेंट: कोई सुहाग की चूडिय़ां बेचने जा रहा था तो किसी ने खोया अपना सुहाग, ऐसा गम जो कभी भुलाया नहीं जा सकता, जानें हादसे की अनसुनी कहानी…

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6 years ago
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सीकर. कहते है मौत को आनी होती है तो कहीं से भी आ सकती है। बुधवार को लोक परिवहन सेवा की लापरवाही कई परिवारों को गहरा दर्द दे गई। सपनों को पूरा करने के लिए हर कोई खुशी से अपनी मंजिल की तरफ जा रहा था। लेकिन किसी को क्या पता था कि बीच राह में उनके सपने बिखर जाएंगे। हादसे की जानकारी जैसे ही मृतकों के घरों तक पहुंची कोहराम मच गया।

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दम्पती को एक साथ आई मौत
सरदारशहर कस्बे के वार्ड 39 निवासी सीताराम प्रजापत मिस्त्री का कार्य करता है। वह बुधवार को पत्नी कमला का स्वास्थ्य खराब होने के कारण कार्य पर नहीं गया था। पत्नी को दिखाने के लिए लोक परिवहन की बस से उसे लेकर सीकर रवाना हुआ। लेकिन उन्हें और परिजनों को आभास भी नहीं था कि वे वापस नहीं लौटेंगे। दुर्घटना में दोनों ही अकाल मौत का शिकार हो गए। दोनों के कोई संतान नहीं थी। सीताराम की शादी 14वर्ष पहले हुई थी। सीताराम मिस्त्री का कार्य कर परिवार का लालन-पालन करता था। उसके बड़े भाई कालूराम घड़ा बनाने का कार्य करते हंै।a

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छोटे भाई का पासपोर्ट बनवाने गया था नोपाराम
रतनगढ़ तहसील के ग्राम ठठावता निवासी नोपाराम मेघवाल (22) मजदूरी कार्य करता था। छोटे भाई नरेंद्र का पासपोर्ट बनवाने के लिए वह सीकर जा रहे थे। मगर रास्ते में हुए हादसे में नोपाराम की मौत हो गई। नरेंद्र घायल हो गया। घायल नरेंद्र का सीकर के अस्पताल में उपचार चल रहा है। मृतक के पिता खेताराम मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण करते हैं। चार भाईयों में नोपाराम से दो भाई बड़े व एक छोटा नरेंद्र है। दो बहनों में एक की शादी हो चुकी है और एक अविवाहित है। पूरा परिवार मजदूरी करता है। बुधवार दोपहर जब नोपाराम का शव घर पहुंचा तो कोहराम मच गया। मां-बाप, भाई व बहनों का रो-रो कर बुरा हाल हो रहा था। गांव के लोगों ने परिवार के लोगों को ढांढ़स बंधाया। नरेंद्र की हालत गंभीर होने के कारण अस्पताल में भर्ती था। जिसके चलते वह बड़े भाई के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका।

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लोगों की पसंद का कपड़ा लाने गया, खुद कफन में आया
सरदारशहर के वार्ड 35 निवासी सिराजूद्दीन (45) कपड़े का व्यवसाय करता था। लोगों की मनपसंद के लिए वह जयपुर कपड़ा लाने जा रहा था। घर से जब निकले तो सभी को राजी खुशी छोडकऱ गए थे। लेकिन किसी को भी यह पता नहीं था कि अब सिराजुद्दीन वापस लौटेंगे। नियति को कुछ और ही मंजूर था। दुर्घटना में सिराजुद्दीन की मौत हो गई। सिराजुद्दीन के एक पुत्र वसीम अकरम है। वह पांचवी कक्षा में पढ़ता है। सिराजुद्दीन तीन भाईयों में सबसे बड़ा है। इनसे छोटे भाई सेठी व इस्माईल है। दोनों भाई मजदूरी का कार्य करते हैं। पूरे परिवार की जिम्मेदारी सिराजुद्दीन पर ही थी।

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दो माह पहले बेटे अब पति की मौत
हादसे में लोक परिवहन बस के चालक कंवलासर निवासी सुरेंद्र सिंह राजपूत की पत्नी किरण अब केवल एक बेटे के भरोसे रह गई है। दो माह पहले दो वर्ष के बेटे की मौत के बाद मां किरण कंवर बुरी तरह टूट चुकी थी। वहीं, पति की मौत के बाद उसका सब कुछ उजड़ गया। जब उसे पति की मौत की जानकारी मिली तो वह बार-बार बेहोश गई। चालक सुरेन्द्र की शादी रतनगढ़ तहसील के गांव लधासर में हुई है।

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सुहाग की चूडिय़ां बेचने जा रहा था बरकत
कहते हैं कि यदि किसी परिवार का सहारा ही चला जाए तो उस परिवार को संभलने में वक्त लग जाता है। कुछ ऐसा ही हादसा सरदारशहर में गैस गोदाम वार्ड चार निवासी बरकत मणियार (30) के परिवार के साथ भी हुआ है। बरकत पर पूरे परिवार के सार-संभाल की जिम्मेदारी थी। वह लाख की चूडिय़ा बनाने का कार्य करता था। गुरुवार को चौथ का व्रत था। इसके लिए सुहाग के रूप में बनाई चूडिय़ों को बेचने के लिए सीकर व जयपुर जा रहा था। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। दुर्घटना में उनकी जान चली गई। वे तीन भाईयों में सबसे बड़े थे। छोटे भाई खालिद व रसिक भी बरकत के साथ चूड़ी बनाने में सहायता करते हैं। मृतक की बड़ी बेटी शबनम (10) कक्षा छह और बेटा समीर (07) कक्षा तीन मेें अध्ययन करता है। पति की मौत का समाचार सुनकर पत्नी मेमूना बेसुध हो गई। मां हाजरा और उसकी दादी बसीरा की आंखे पथरा गई।

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पदोन्नति के सिलसिले में जा रहे थे शिक्षक मनीराम
सरदारशहर तहसील के गांव उदासर के निवासी मनीराम प्रजापत खुशी-खुशी बुधवार सुबह घर से निकले थे। खुशी इस बात की थी कि उनकी हाल ही में सैकण्ड ग्रेड के पद पर पदोन्नति हुई थी। इसी के सिलसिले में वे जयपुर जा रहे थे। लेकिन बीच राह में ही फतेहपुर-रोलसाहबसर के बीच मौत उनके सामने आ खड़ी हुई और वे काल का ग्रास बन गए। मनीराम प्रजापत वर्तमान में राजकीय माध्यमिक विद्यालय कल्याणपुरा में कार्यरत थे। दस भाई-बहनों में वे सबसे बड़े थे। पर परिवार की सारी जिम्मेदारी उस पर थी। इनके दो पुत्र व एक पुत्री हैं। बड़ा पुत्र मनीष बीएएमएस कर चुका है। जयसंगसर में आयुर्वेद चिकित्सक के पद पर संविदा पर कार्यरत है। छोटा बेटा मनोज वर्तमान में सरदारशहर के ही एक सीनियर सैकण्डरी निजी विद्यालय में अध्यापन का कार्य करवा रहा है। इसके अलावा एक बेटी प्रमीला की शादी की जा चुकी है। वह बाड़मेर में तृतीय श्रेणी शिक्षक के पद पर कार्यरत है। जब इस घटना की जानकारी परिजनों को मिली तो उनका रो-रो कर बुरा हाल हो गया। आस-पास के लोग घटना सुनकर स्तब्ध रह गए। उनके साथ काम करने वाले शिक्षकों ने बताया कि मनीराम सीधे, सरल और हंसमुख स्वभाव के व्यक्तित्व थे, जिनकी गांव के लोग चर्चा करते भी नजर आए। गांव में सन्नाटा पसर गया। परिजनों व आस-पास के लोगों की रुलाई फूट पड़ी।

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