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Malala Day : घरवालों ने मना किया, फिर भी जुनून ऐसा कि मेलों में कुश्ती खेली, अब लाडो इंग्लैंड में दिखाएगी दांव पेंच

Malala Day Special : यदि व्यक्ति के मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो मुसीबत खुद हार जाती है। कुछ ऐसी ही जुननूभरी कहानी है सीकर जिले के रामपुरा (खंडेला) गांव निवासी साक्षी सैनी की।

सीकरJul 12, 2019 / 06:02 pm

Vinod Chauhan

Malala Day : घरवालों ने मना किया, फिर भी जुनून ऐसा कि मेलों में कुश्ती खेली, अब लाडो इंग्लैंड में दिखाएगी दांव पेंच

रविन्द्र सिंह राठौड़, सीकर.

Malala Day Special : यदि व्यक्ति के मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो मुसीबत खुद हार जाती है। कुछ ऐसी ही जुननूभरी कहानी है सीकर जिले के रामपुरा (खंडेला) गांव निवासी साक्षी सैनी ( Sakshi Saini Selected for Commonwealth Judo Championships In England ) की। बचपन से ही कुश्ती का शौक रखने वाली साक्षी को परिजन काफी मना करते। आस-पड़ौस के लोग भी ताना मारते। लेकिन वह गांव के अखाड़ों में कुश्ती लडऩे के लिए पहुंच जाती। अब साक्षी सैनी का चयन इंग्लैंड में आयोजित कॉमनवेल्थ जूड़ो चैंपियनशिप ( Commonwealth Judo Championships ) के लिए हुआ है।

कक्षा 9 में अध्ययनरत साक्षी ने 15 साल की उम्र में एक साल की तैयारी के दम पर यह मुकाम हासिल किया हैं। साक्षी के पिता मजदूरी करते है। स्कूल समय के अलावा घरेलू काम में मां का हाथ बटाने के बाद जो समय मिला उसी में साक्षी ने जूड़ों की तैयारी की हैं। साक्षी का कहना है कि मुझे जूड़ो से ज्यादा कुश्ती खेलना पसंद है।

भारतीय जूडो महासंघ के तत्वाधान में 7 व 8 जुलाई को राष्ट्रीय बाल भवन कोटला रोड नई दिल्ली में हुई ट्रायल में साक्षी का चयन 25 से 29 सिंतबर तक यूनाइटेड किंग्डम (इंग्लैंड) में होने वाली कॉमनवेल्थ में जूड़ो चैंपियनशिप के लिए हुआ है। साक्षी ने खेलों की शुरूआत गांव में कुश्ती से की हैं। पिता के हर बार मना करने के बावजूद छुपते-छिपाते गांव के मैदान में कुश्ती खेलने साक्षी पहुंच जाती। इतना ही नहीं गांव वाले मोहल्लेवाले भी उसे ताना मारते। लडक़ी होकर कुश्ती जैसे खेल खेलती है, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और आज एक बेहतर मुकाम की ओर उसका सफर जारी है।


कोच से मिली साक्षी को खेल की प्रेरणा
स्पोट्र्स कोंसिल की ओर से 2016 में अल्पकालीन प्रशिक्षक और जिला जूड़ो संघ सचिव सरिता सैनी ने साक्षी की आंखों में अपने बचपन को देखा। सरिता स्वयं मजदूर और बीमार पिता की बेटी हैं। जिसने अपने परिवार के लिए बहुत कम समय में खेल को छोड़ दिया। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते सरिता तो खेलों में ज्यादा समय नहीं दे पाई। लेकिन अल्पकालीन प्रशिक्षक बनकर जूड़ों में साक्षी जैसे सैकड़ो खिलाडिय़ों को तैयार कर चुकी है। सरिता जिले की पहली महिला जूड़ो ब्लेक बेल्ट खिलाड़ी है। सरिता ने भी कुश्ती से खेलों की शुरूआत की थी। कोच को देख साक्षी ने जूड़ो खेलना शुरू किया।

Malala Day Special : यदि व्यक्ति के मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो मुसीबत खुद हार जाती है। कुछ ऐसी ही जुननूभरी कहानी है सीकर जिले के रामपुरा (खंडेला) गांव निवासी साक्षी सैनी की।

जूड़ो में साक्षी की उपलब्धियां
साक्षी ने राज्य स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता में दो बार जिले का प्रतिनिधित्व किया है। इसके अलावा साक्षी ने सब जूनियर राज्य स्तरीय जूड़ों चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल कर चुकी है। ऊना हिमाचल प्रदेश में आयोजित राष्ट्रीय सब जूनियर बालक व बालिका जूड़ो प्रतियोगिता में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते हुए कांय पदक हासिल किया। साक्षी का लक्ष्य अब इंडिया टीम में खेलकर पदक जीतने का हैं। साक्षी के परिवार में मजदूर पिता भींवाराम सैनी, माता सजना देवी और एक बड़ा भाई है।

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