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मार्गशीर्ष मास प्रारंभ, सतयुग में इसी महीने से शुरू हुआ था नया साल

locationसीकरPublished: Nov 13, 2019 06:45:44 pm

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Bhagwan

हिन्दू पंचांग के अनुसार बुधवार यानी 13 नवंबर से मार्गशीर्ष (अगहन) मास प्रारंभ हो चुका है। यह महीना 12 दिसंबर, गुरुवार तक रहेगा। पं. नन्द किशोर नांगलका ने हिन्दू पंचांग के अनुसार साल का नौवां महीना मार्गशीर्ष माह है। इसे अगहन भी कहा जाता है।

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अगहन मास के गुरुवार को इस विधि से करें मां लक्ष्मी की पूजा, चमकेगी किस्मत और पूरी होगी मनोकामना

श्रीमाधोपुर. हिन्दू पंचांग के अनुसार बुधवार यानी 13 नवंबर से मार्गशीर्ष (अगहन) मास प्रारंभ हो चुका है। यह महीना 12 दिसंबर, गुरुवार तक रहेगा। पं. नन्द किशोर नांगलका ने हिन्दू पंचांग के अनुसार साल का नौवां महीना मार्गशीर्ष माह है। इसे अगहन भी कहा जाता है। मार्गशीर्ष यानी अगहन महीना अत्यन्त पवित्र माना जाता है। इस माह का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से है। ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र बताए गए हैं। इन्हीं 27 नक्षत्रों में से एक है मृगशिरा नक्षत्र। ये महीना श्रीकृष्ण को बहुत प्रिय माना गया है। शास्त्रों में इस महीने को भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप कहा गया है। इन दिनों में श्रीकृष्ण एवं शंख पूजन का विशेष महत्व है। साधारण शंख को श्रीकृष्ण को पाञ्चजन्य शंख के समान समझकर उसकी पूजा करने से सभी मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।
सतयुग में देवों ने मार्गशीर्ष से ही वर्ष प्रारम्भ किया

गीता में स्वयं भगवान कृष्ण ने कहा है कि मासानां मार्गशीर्षोऽयम् यानी सभी महीनों में मार्गशीर्ष महीना मेरा ही स्वरूप है। सतयुग में देवों ने मार्गशीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही वर्ष प्रारम्भ किया था।
जानिए इस माह में किस तिथि पर कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…

मंगलवार, 19 नवंबर को कालभैरव अष्टमी है। इस भगवान कालभैरव के लिए विशेष पूजा-पाठ किए जाते हैं।
शुक्रवार, 22 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी है।
मंगलवार, 26 नवंबर को अगहन मास की अमावस्या तिथि है।
रविवार, 1 दिसंबर को श्रीराम और सीता का विवाह उत्सव है। इसे विवाह पंचमी भी कहते हैं। इस दिन श्रीराम और सीता की पूजा करनी चाहिए। सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं।
बुधवार, 11 दिसंबर को अगहन मास की पूर्णिमा है, इसे दत्त पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन भगवान दत्तात्रेय की पूजा करनी चाहिए।
गुरुवार, 12 दिसंबर को स्नान दान की पूर्णिमा है और अगहन मास का अंतिम दिन है। इस तिथि पर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए और दान करना चाहिए।
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