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शुक्र उदय के साथ बजने लगी शहनाई, पंचमी पर विवाह के बंधन में बंधेंगे सैंकड़ों जोड़े

सीकर. शुक्र उदय के साथ ही अब शहनाइयां बजने लगी है। इसी के साथ मांगलिक कार्यक्रम भी शुरू हो गए हैं। सावे शुरू होने का असर बाजार में भी दिखाई देने लगा है।

सीकरNov 27, 2022 / 06:48 pm

Sachin

शुक्र उदय के साथ बजने लगी शहनाई, पंचमी पर विवाह के बंधन में बंधेंगे सैंकड़ों जोड़े

सीकर. शुक्र उदय के साथ ही अब शहनाइयां बजने लगी है। इसी के साथ मांगलिक कार्यक्रम भी शुरू हो गए हैं। सावे शुरू होने का असर बाजार में भी दिखाई देने लगा है। शहर में शनिवार को भीड़भाड़ का आलम रहा। सोमवार को 28 नवंबर को 10 रेखा का विवाहपंचमी का शुभ मुहूर्त रहेगा। इसमें सैकड़ों जोड़े विवाह बंधन में बनेंगे। इसके अलावा दिसंबर माह में 2 दिसंबर, 4 दिसंबर, 6 दिसंबर, 8 दिसंबर और 9 दिसंबर के विशेष विवाह मुहुर्त में नवविवाहित जोड़े एक दूसरे के हमसफर बनेंगे। इस दौरान शहर की सड़कों पर बैंड बाजा और बारात नजर आएंगे। बराती झूमेंगे नाचेंगे गाएंगे। कड़कड़ाती सर्दी के बीच बारात की सरगर्मी खूब रहेगी पंडित दिनेश मिश्रा के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इसी कारण इस दिन को विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस साल विवाह पंचमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ कई अद्भुत योग बन रहे हैं।

विवाह पंचमी महत्व

विवाह पंचमी के दिन माता सीता और भगवान राम का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन माता सीता और श्री राम की पूजा का विधान है। इस पर्व को अयोध्या और नेपाल में विशेष आयोजन किया जाता है। इन जगहों पर भव्य रूप से विवाह पंचमी का उत्सव मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन शुभ योग में मांगलिक कार्यों करने से शुभ फलों की की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इस दिन पूजन अनुष्ठान करने से दांपत्य जीवन में खुशियां ही खुशियां आती है। विवाह पंचमी के दिन राम सीता की विधि पूर्वक पंचोपचार पूजन करके वैवाहिक जीवन में आने वाली हर समस्या से छुटकारा पा सकता है।

16 दिसंबर से मल मास के कारण विवाह पर फिर लगेगी रोक

16 दिसंबर से एक बार फिर विवाहों पर रोक लग जाएगी। 16 दिसंबर को खर मास आरंभ हो जाएगा। खर मास को शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना गया है। इसलिए इस समयावधि में विवाह सहित सभी धार्मिक कार्य टाले जाएंगे। इसके बाद विवाह अगले वर्ष 15 जनवरी के बाद शुरू हो सकेंगे। 16 दिसंबर से 15 जनवरी तक देवप्रतिमा स्थापना, विवाह, उपनयन संस्कार, देवोपासना, यज्ञ, धार्मिक कर्मकांड, पूजा-पाठ आदि धार्मिक कार्यों पर भी रोक लग जाएगी।

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