पांच साल में बांटेंगे 24 पौधे पहला चरण 31 जुलाई से शुरू होगा। इसके लिए जिले की फतेहपुर, रिणाऊ, देवीपुरा, नानी, रींगस, गोडियावास, प्रीतमपुरी, बोपिया,अजीतगढ़ नर्सरी में 17 लाख 71 हजार पौधे तैयार किए गए हैं। प्रत्येक वन विभाग के अनुसार पहले और दूसरे वर्ष में दो लाख 21 हजार परिवारों को पौधे बांटेंगे। तीसरे साल जिले के सभी शत प्रतिशत परिवार और चौथे व पांचवे साल में 50-50 प्रतिशत परिवारों को आठ-आठ पौधे बांटे जाएंगे। सरकार की मंशा है कि प्रत्येक घर में औषधीय पौधे होने से पर्यावरण के साथ लोगों की सेहत भी अच्छी रहेगी।
ये है पौधे के गुण आयुर्वेद चिकित्सक डा विनोद शर्मा के अनुसार आयुर्वेद के गुणो से अंजान होने के कारण ही मौजूदा परिस्थतियों में जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण एवं जीवनशैली में परिवर्तन के कारण रोग बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में गिलोय बुखार में आयुर्वेदिक दवा का काम करता है। गिलोय खाने से शुगर नियंत्रित रहती है। साथ ही पाचन तंत्र और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। तुलसी में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीबायोटिक गुण होते हैं, जो शरीर को संक्रमण से लडऩे के काबिल बनाती है। अश्वगंधा में पाए जाने वाले एंटीआक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। दिल की मांसपेशियां मजबूत होती है और बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होता है। कालमेघ का उपयोग मलेरिया, ब्रोंकाइटिस रोगों में किया जाता है। इसका उपयोग यकृत सम्बन्धी रोगों को दूर करने में होता है। इसकी जड़ का उपयोग भूख लगने वाली औषधि के रूप में भी होता है।
यह है उद्देश्य घर-घर औषधि योजना के तहत निशुल्क वितरण के लिए जिले में 17 लाख 71 हजार पौधे तैयार किए गए हैं। ऐसे में आयुर्वेद तथा परंपरागत ज्ञान व वनों में उपलब्ध औषधियों के जरिए सभी को अच्छा स्वस्थ्य मिल सकेगा। निशुल्क पौध वितरण से वातावरण में इन पौधों के होने से लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरुक होंगे।
भीमाराम, डीएफओ सीकर