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घर लौटे प्रवासियों ने बंजर भूमि में शुरू की बुवाई, 30 फीसदी बढ़ेगी खेती

locationसीकरPublished: Jul 12, 2020 02:51:09 pm

Submitted by:

Sachin

सीकर. कोरोना की वजह से बेरोजगार हुए प्रवासियों ने अब खेती का रकबा बढ़ाने के लिए कदमताल शुरू कर दी है। प्रवासियों की बजंर जमीन में सोना उपजाने की चाह की वजह से इस साल कृषि विभाग को खेती का रकबा बढऩे की उम्मीद है।

घर लौटे प्रवासियों ने बंजर भूमि में शुरू की बुवाई, 30 फीसदी बढ़ेगी खेती

घर लौटे प्रवासियों ने बंजर भूमि में शुरू की बुवाई, 30 फीसदी बढ़ेगी खेती

सीकर. कोरोना की वजह से बेरोजगार हुए प्रवासियों ने अब खेती का रकबा बढ़ाने के लिए कदमताल शुरू कर दी है। प्रवासियों की बजंर जमीन में सोना उपजाने की चाह की वजह से इस साल कृषि विभाग को खेती का रकबा बढऩे की उम्मीद है। इससे न केवल खेतों में उत्पादन बढ़ेगा बल्कि दूसरे प्रदेश या जिलो में काम करने वाले इन प्रवासियों को घर बैठे आमदनी का जरिया भी मिलेगा। कृषि विभाग का मानना है कि अधिकतर प्रवासी कामगारों के परिवार खेती से जुड़े हुए हैं। ऐसे में बुवाई का आंकड़ा लक्ष्य से करीब तीस हजार हेक्टेयर ज्यादा तक पहुंचने की उम्मीद है। गौरतलब है कि जिले में इस बार खरीफ की बुवाई का लक्ष्य चार लाख 99 हजार 10 हेक्टैयर है।

बीज को लेकर परेशानी
कोरोनाकाल के कारण महंगे हुए खाद-बीज और मांग की तुलना में कम आपूर्ति के कारण किसानों को परेशानी हो रही है। बीज और खाद की उपलब्धता को लेकर कृषि विभाग और व्यापारियों के दावे विरोधाभासी हैं। विभाग का कहना है कि जिले की सभी केवीएसएस पर पर्याप्त मात्रा में उर्वरक व बीज उपलब्ध है वहीं व्यापारियों का कहना है कि इस बार लॉकडाउन के कारण कई बीज कंपनियों का सीजन प्रभावित हुआ है। जिससे मांग की तुलना में कम आपूर्ति हो रही है। ज्यादातर किसानों को अपने घर के बीज पर ही निर्भर रहना पड़ सकता है।


बुवाई का लक्ष्य

बाजरा: 2,80000

मूंग: 57000
मोठ: 2000

चंवळा: 30000
मूंगफली: 25000

ग्वार: 95000
तिल: 1000

अन्य: 9000
(आंकड़े हेक्टेयर में)

केस एक: बंजर जमीन में कर दी बुवाई
धोद निवासी राकेश खोखर चैन्नई में ट्रांसपोर्ट का काम करता था। कोरोनाकाल में काम बंद हो गया तो अब गांव आकर खेती का कार्य करने में जुट गया है। खेत मे मूंगफली और बाजरा की बुवाई कर रखी है।

केस दो: पेट्रोल पंप की नौकरी छोड़ जुटा खेती में

गांव पेवा निवासी अर्जुनलाल छपरवाल गुवाहटी में पेट्रोल पंप पर नौकरी करता था। अब गांव में खेती शुरू की है। खेत में बाजरा, मोठ, ग्वार की बुवाई कर रखी है। उसका कहना है कि बेरोजगार बैठे रहने के बजाय स्वरोजगार की राह अपनाई है।

इनका कहना है


यह अच्छी बात है कि जिले में इस बार प्रवासियों के आने से खेती का क्षेत्र बढ़ेगा। विभाग की टास्क फोर्स की जिले में खाद-बीज की उपलब्धता पर नजर है।

एसआर कटारिया, उपनिदेशक, कृषि

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