scriptनाबालिग के साथ मामा व उसके जीजा ने किया बलात्कार, कोर्ट ने सुनाई 20 साल की सजा | Minor raped by maternal uncle and her brother-in-law | Patrika News

नाबालिग के साथ मामा व उसके जीजा ने किया बलात्कार, कोर्ट ने सुनाई 20 साल की सजा

locationसीकरPublished: Jun 03, 2023 12:11:12 pm

Submitted by:

Sachin

सीकर. 12 साल की मासूम के साथ बलात्कार के जुर्म में पोक्सो कोर्ट-2 ने उसके धर्म के मामा व उसके जीजा को 20 साल के कठोर कारावास व 2 लाख 15 हजार रुपए का जुर्माने की सजा सुनाई है।

नाबालिग के साथ मामा व उसके जीजा ने किया बलात्कार, कोर्ट ने सुनाई 20 साल की सजा

नाबालिग के साथ मामा व उसके जीजा ने किया बलात्कार, कोर्ट ने सुनाई 20 साल की सजा

सीकर. 12 साल की मासूम के साथ बलात्कार के जुर्म में पोक्सो कोर्ट-2 ने उसके धर्म के मामा व उसके जीजा को 20 साल के कठोर कारावास व 2 लाख 15 हजार रुपए का जुर्माने की सजा सुनाई है। न्यायाधीश अशोक चौधरी ने मामले में तत्कालीन एसपी का रवैया भी नकारात्मक मानते हुए पुलिस महानिदेशक व गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को उन पर कठोर कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं। पीडि़ता के पिता की रिपोर्ट के अनुसार 29 मई 2018 की रात उसकी नाबालिग बेटी को उसकी मां का धर्म भाई जीतू बहला-फुसला कर ले गया था। जब जीतू के नंबर पर बात की तो बेटी ने उन्हें गोवा लेकर आने की बात कही। जिसके बाद मामले की पुलिस में रिपोर्ट दी गई।

मामा व जीजा ने किया बलात्कार
रिपोर्ट के आधार पर जांच कर पुलिस ने नाबालिग को दस्तयाब कर लिया। जिसने बयान में बताया कि रात को पेशाब करने उठी तब जीतू जबरन उसका मुंह बंद कर कोटपुतली ले गया था। जहां उसका जीजा राजेंद्र भी मौजूद था। दोनों ने एक झोपड़ी में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। बयान के आधार पर पुलिस ने आरोपी जितेंद्र उर्फ जीतू और राजेंद्र सिंह दोनों को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया। पीडि़ता की पैरवी लोक अभियोजक कैलाश दान कविया ने की।

पुलिस का नकारात्मक रवैये पर कोर्ट सख्त
न्यायाधीश ने फैसले में पुलिस के नकारात्मक रवैये पर भी सख्ती दिखाई है। उन्होंने लिखा कि पीडि़ता को दस्तयाब करने के बाद जांच अधिकारी व थानाधिकारी की पीडि़ता की काउंसलिंग व उसके परिजनों को सहयोग करना चाहिए था। पर ऐसा नहीं हुआ।थाना स्तर पर बलात्कार पीडि़ताओं की काउंसलिंग के उचित साधन ही प्रतीत नहीं होते। जो विभागीय प्रभारी होते हुए एसपी के अपराधों के प्रति नकारात्मक नजरिये को दर्शाता है। इससे न्याय व्यवस्था चरमराने के साथ पीडि़तों का न्याय व्यवस्था से विश्वास उठ रहा है। अपराधियों का हौसला भी बढ़ रहा है। लिखा कि आरोप पत्र पेश करते समय अनुमति की फौरी औपचारिकता पुलिस अधीक्षक जैसे जिम्मेदार अधिकारी की बानगी बन गया है। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक का दृष्टिकोण नकारात्मक प्रवृत्ति का होना दृष्टिगत होता है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो