मामा व जीजा ने किया बलात्कार
रिपोर्ट के आधार पर जांच कर पुलिस ने नाबालिग को दस्तयाब कर लिया। जिसने बयान में बताया कि रात को पेशाब करने उठी तब जीतू जबरन उसका मुंह बंद कर कोटपुतली ले गया था। जहां उसका जीजा राजेंद्र भी मौजूद था। दोनों ने एक झोपड़ी में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। बयान के आधार पर पुलिस ने आरोपी जितेंद्र उर्फ जीतू और राजेंद्र सिंह दोनों को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया। पीडि़ता की पैरवी लोक अभियोजक कैलाश दान कविया ने की।
पुलिस का नकारात्मक रवैये पर कोर्ट सख्त
न्यायाधीश ने फैसले में पुलिस के नकारात्मक रवैये पर भी सख्ती दिखाई है। उन्होंने लिखा कि पीडि़ता को दस्तयाब करने के बाद जांच अधिकारी व थानाधिकारी की पीडि़ता की काउंसलिंग व उसके परिजनों को सहयोग करना चाहिए था। पर ऐसा नहीं हुआ।थाना स्तर पर बलात्कार पीडि़ताओं की काउंसलिंग के उचित साधन ही प्रतीत नहीं होते। जो विभागीय प्रभारी होते हुए एसपी के अपराधों के प्रति नकारात्मक नजरिये को दर्शाता है। इससे न्याय व्यवस्था चरमराने के साथ पीडि़तों का न्याय व्यवस्था से विश्वास उठ रहा है। अपराधियों का हौसला भी बढ़ रहा है। लिखा कि आरोप पत्र पेश करते समय अनुमति की फौरी औपचारिकता पुलिस अधीक्षक जैसे जिम्मेदार अधिकारी की बानगी बन गया है। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक का दृष्टिकोण नकारात्मक प्रवृत्ति का होना दृष्टिगत होता है।