माध्यमिक शिक्षा निदेशक नथमल डिडेल ने राज्य के सभी मुख्य जिला शिक्षा अधिकारियों को लिखा है कि बच्चों में वाट्सएप एवं अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से मोमो चैलेंज नामक खेल का प्रचलन बढ़ रहा है। बच्चों को इस खेल के माध्यम से अपने जाल में फंसाकर हतोत्साहित किया जाता है। चुनौतियां देता है और आत्महत्या जैसे कृत्य भी करवाता है। इसके प्रति विद्यार्थियों को जागरुक करें।
परिजन बच्चों को नहीं दें एंड्रोइड फोन
पिछले दिनों अजमेर में एक छात्रा की मौत हो चुकी। परिजनों ने मौत के बाद आरोप लगाया था कि उनकी बेटी की मौत का जिम्मेदार मोमो चैलेंज खेल है। उनकी बेटी इस खेल में फंस गई थी। इसकी जांच होनी चाहिए। वहीं जानकारों का कहना है कि यह खेल एड्रोंइड फोन से खेला जाता है। ऐसे में छोटे बच्चों को ऐसा फोन नहीं दें। पिछले वर्ष इन्हीं दिनों में झुंझुनूं जिले के बिसाऊ कस्बे के एक विद्यालय का बच्चा भी ब्लूव्हेल गेम के जाल में फंस गया था। लेकिन वहां के तत्कालीन प्रधानाचार्य कमलेश तेतरवाल की जागरुकता से उस बच्चे को तुरंत खेल से बाहर निकाल लिया गया था।
-परेशानी शुरू होती है इन नंबरों के सेव करने के बाद।
-ये नंबर मोमोज चैंलेंज देते हैं।
– इस खेल के माध्यम से अपराधी छोटे-छोटे बच्चों और युवाओं को फंसाते हैं।
– ब्लूव्हेल खेल की तरह ही यह चैलेंज यूजर को इतना परेशान करता है कि वे अपनी जान लेने से भी पीछे नहीं हटते।
– उसे खेल पूरा नहीं खेलने पर परिजनों की हत्या करने की बात कहकर डराया जाता है।
इनका कहना है मोमो चैलेंज खतरनाक खेल है। बच्चे यह खेल नहीं खेलें, इसके लिए जिले के सभी विद्यालयों में विद्यार्थियों को जागरूक किया जाएगा। जहां जरूरत पड़ेगी वहां एक्सपर्ट की भी मदद ली जाएगी।
पवन कुमार, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी, सीकर