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वरुथनी एकादशी पर बन रहा महासंयोग, इस दिन पानी में ये चीज मिलाकर नहाएं, खुल जाएगी किस्मत

locationवाराणसीPublished: Apr 11, 2018 12:19:09 pm

Submitted by:

sarveshwari Mishra

जानिए इन उपाय से क्या मिलेगा लाभ

Varuthini Ekadashi

Varuthini Ekadashi

वाराणसी. वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथनी एकादशी कहते हैं। इस बार यह एकादशी 12 अप्रैल को है। स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य का अध्याय है। इस अध्याय में श्रीकृष्ण ने सालभर की सभी एकादशियों का महत्व युधिष्ठिर को बताया है। इस अध्याय के अनुसार एकादशी पर व्रत और उपाय करने से भगवान विष्णु के साथ ही महालक्ष्मी की भी कृपा मिल सकती है। साथ ही, कुंडली के दोषों को भी दूर किया जा सकता है। इस बार गुरुवार को एकादशी होने से ये दिन और भी शुभ हो गया है। विष्णु पुराण के अनुसार वरुथनी एकादशी का व्रत सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। वरुथनी एकादशी पर भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है। इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व होता है। ज्योतिष के अनुसार गुरुवार का कारक ग्रह गुरु है। गुरु ग्रह को भाग्य और धर्म का कारक माना गया है।
नहाने के पानी में डालें हल्दी
गुरुवार और एकादशी के योग में सुबह जल्दी उठें और पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए नहाएं। नहाने के बाद केसर से तिलक लगाएं और केले के वृक्ष पर जल चढ़ाकर, पूजा करें। इस दिन एकादशी और गुरुवार के योग में शिवलिंग की विशेष की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। पूजा करते समय गुरु ग्रह का भी ध्यान करें। शिवलिंग की पूजा से भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं।
ऐसे रहें व्रत
अगर आप एकादशी का व्रत करते हैं तो इस दिन सिर्फ फलाहार करें। अगर पूरे दिन भूखे नहीं रह सकते हैं तो एक समय ही भोजन करें। पीले वस्त्र धारण करें। पीले फूल भगवान को चढ़ाएं और एक फूल अपने पास भी रखें। चने की दाल, पीले कपड़े और पीले चंदन से शिवजी और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पूजा के बाद एकादशी व्रत की कथा सुननी चाहिए। इस प्रकार पूजा-पाठ करने से भगवान विष्णु, शिवजी और देवगुरु बृहस्पति प्रसन्न होते हैं। धन और विद्या का लाभ मिलता है। भाग्य से संबंधित बाधाएं दूर होती हैं। गुरुवार को केले के वृक्ष की पूजा अवश्य करें।
ये उपाय भी कर सकते हैं

-किसी स्कूल में गरीब बच्चों को किताबों का और पेन का दान करें।
-किसी जरुरतमंद व्यक्ति को धन का दान करें।
-चने की दाल और केसर किसी मंदिर में दान दें।

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