script

खाड़ी देशों में काम हुआ बंद, कैद हुए शेखावाटी के तीन लाख से ज्यादा कामगार

locationसीकरPublished: Mar 17, 2020 10:49:45 am

दुनिया में खौफ फैलाने वाले कोरोना वायरस (Corona Virus) ने शेखावाटी (Shekhawai) से दो जून की रोटी की जुगाड़ के लिए खाड़ी गए कामगारों की रोजी-रोटी पर भी संकट ला खड़ा कर दिया है।

खाड़ी देशों में काम हुआ बंद, कैद हुए शेखावाटी के तीन लाख से ज्यादा कामगार

खाड़ी देशों में काम हुआ बंद, कैद हुए शेखावाटी के तीन लाख से ज्यादा कामगार

सीकर. दुनिया में खौफ फैलाने वाले कोरोना वायरस (Corona Virus) ने शेखावाटी (Shekhawai) से दो जून की रोटी की जुगाड़ के लिए खाड़ी गए कामगारों की रोजी-रोटी पर भी संकट ला खड़ा कर दिया है। कामगारों में अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता है तो वहीं घर से दूर खाड़ी देशों में गए अपनों की सलमती को लेकर उनके परिजन बेहद डरे हुए हैं। दरअसल सऊदी अरब से लेकर कई देशों की प्लाइट बंद होने से अंचल के सीकर, झुंझुनूं और चूरू जिले के करीब तीन से चार लाख लोग खाड़ी में फंसे हैं। (More than three lakh Shekhawati workers trapped in Gulf countries) उधर खाड़ी देशों से सीकर छुट्टी पर आए करीब दस हजार से अधिक लोग अपने घरों पर कोरोना के प्रकोप के समाप्त होने का इंतजार जरूर कर रहे हैं। हालांकि इनके सामने वीजा अवधि खत्म होने का संकट भी है।

 

खाड़ी की विपत्ति का हमारा दिल से नाता

खाड़ी देशों में जब भी विपत्ति की बादल मंडराए हैं। उसका असर शेखावाटी के ताने-बाने पर नजर आया है। खाड़ी युद्ध की बात हो या अफगानिस्तान पर हमले की। शेखावाटी अंचल की बात करें तो यहां के लोगों का खाड़ी से देश की आजादी से भी पुराना नाता है। यह नाता समय के साथ मजबूत हुआ है। खाड़ी के सऊदी अरब, दुबई, कुवैत, कत्तर, बहरीन में यहां के करीब पांच लाख लोग रोजगार के लिए हैं। सबसे ज्यादा संख्या सऊदी अरब और दुबई में हैं। के.के.इंटरनेशनल, फतेहपुर के गुलाम मोहम्मद बेसवा का कहना है कि कोरोना से पहले शेखावाटी से जयपुर, दिल्ली और मुंबई की उड़ान की स्थिति देखे तो पांच सौ से एक हजार यात्री प्रतिदिन खाड़ी देशों की यात्रा कर रहे थे।

खाड़ी पर टिकी है ग्रामीण अर्थव्यवस्था

शेखावाटी अंचल के ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थ व्यवस्था खाड़ी देशों पर टिकी है। यहां प्रत्येक गांव और ढाणी में किसी ना किसी परिवार का कोई सदस्य खाड़ी देश में हैं। वहां की प्रत्येक गतिविधि का यहां के ताने-बाने पर असर पड़ेगा। खाड़ी में रहने वाले लोगों के परिवारों से बातचीत गई तो साफ नजर आया कि कोरोना का असर यहां की अर्थ व्यवस्था को प्रभावित करेगा। यहां के मोहल्ला बिसायतियान निवासी एडवोकेट अताउल्लाह खान का परिवार अपनों की सलामती को लेकर चिंतित है। बकौल अताउल्ला खान उनके भाई शमी उल्लाह, सिंकदर सहित परिवार के पांच सदस्य वहां फंसे हुए हैं। इनके पत्नी बच्चे तो कोरोना का भय होने पर यहां आ गए, लेकिन इन्हें फ्लाइट की टिकट नहीं मिल पाई। छोटा भाई जहिर खान तो ऐसी जगह फंसा हुआ है, जहां पर उपचार तो दूर खाने की व्यवस्था भी नहीं हो पा रही है। कंपनी के मालिक भी कोरोना के डर से कंपनी बंद कर चले गए हैं।

 

हरेक के चेहरे पर चिंता


शहर के शेखपुरा मोहल्ले में खाड़ी देशों में रहने वाले लोगों के परिवारों की स्थिति जानने के लिए पत्रिका टीम सोमवार शाम मौके पर पहुंची तो सैकड़ों लोगों की भीड़ एकत्र हो गई। लोगों के चेहरे पर चिंता के भाव साफ नजर आ रहे थे। इस क्षेत्र के दो हजार से अधिक लोग सऊदी अरब में रहते हैं। छुट्टी आए हुए लोग अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

रोटी के जुगाड़ की जगह घरों में कैद कर दिया कोरोना ने


फतेहपुर. दो जून की रोटी के जुगाड़ में खाड़ी देशों में गए यहां के हजारों कामगारों को कोरोना वायरस ने वहां घरों में कैद कर दिया है। वहां पर काम धंधे बंद हो गए हैं। वायरस के संक्रमण के डर से वे घरों से भी नहीं निकल पा रह हैं। वहां की सरकार ने कई तरह की पाबंदियां लगा दी हैं। कुवैत, दुबई, कतर, सउदी अरब व ओमान में रह रहे लोगों के परिजनों से बातचीत की गई तो ऐसी ही स्थिति सामने आई। कुवैत में रह रहे समीर खत्री के परिजनों ने बताया कि कुवैत में पाबंदी के चक्कर में वह घर में कैद है। मॉल व अन्य सब जगह काम बंद है। ऐसे में वह घर पर ही है, ना ही तो भारत आने दिया जा रहा है व ना ही यहां से किसी को जाने दिया जा रहा है। शकीरा ने बताया कि उनके परिवार के लोग कुवैत रहे रहे हैं, ऐसे में उन्हें चिंता है कि वहां कुछ हो गया तो कौन संभालेगा। शफीक जोड़ ने बताया कि उनके भाई, पिता व पत्नी भी कतर में रहते हैं। पांबदियों के चलते ना कुछ भेज पा रहे हैं ना ही कुछ मंगा पा रहे हैं। जिस तरह से पांबदियां लगाई गई है ऐसे में वहां पर रोजगार का भी संकट हो रहा है। वहां से लोग यहां आएंगे तो भी परेशानी होगी। रोजगार के बिना करेंगे भी क्या।

ट्रेंडिंग वीडियो