यूआइटी को कब मिलेंगे अध्यक्ष, अब तक कुर्सी खाली
प्रदेश की सभी यूआइटी में अध्यक्षों की कुर्सी अभी तक खाली है। कांग्रेस ने सत्ता में आते ही यूआइटी अध्यक्षों के कार्यकाल को समाप्त कर दिया था। इसके बाद कोरोना और सियासी संग्राम की वजह से कांग्रेस सरकार अभी तक यूआइटी में नियुक्ति नहीं कर सकी। पिछले दिनों सरकार के राजनैतिक नियुक्तियों के अनलॉक करने के साथ कुछ पार्टी पदाधिकारियों की उम्मीद भी जगी थी।
आमजन की ऐसे टूट रही उम्मीद
1. सुविधा विस्तार:
नगरीय विकास को गति देने के लिए यूआइटी और नगर निकायों के सीमा क्षेत्र में बंटवारा भी किया गया। इसके बाद भी कोटा, उदयपुर, बीकानेर व अलवर को छोड़कर ज्यादातर यूआइटी अपने क्षेत्रों में रिंग रोड सहित अन्य कार्यो को भी पूरा नहीं करा सकी है। सीकर यूआइटी की ओर से दो प्रोजेक्ट हाथ में लिए गए। इनमें से एक प्रोजेक्ट छह साल बाद भी पूरा नहीं हुआ है।
2. नई कॉलोनी:
प्रदेश में नई कॉलोनी बसाने में भी यूआइटी फिसड्डी साबित हो रही है। तीन यूआइटी को छोड़ दें तो अन्य का स्कोर 25 फीसदी तक भी नहीं है। सीकर यूआइटी तो स्थापना से लेकर अब तक एक भी कॉलोनी डवलप नहीं कर सकी है। इस कारण लोगों को निजी कॉलोनाइजर्स की कॉलोनियों की तरफ मजबूरी में रूख करना पड़ रहा है।
सीकर यूआइटी ने सबसे पहले गोविन्द नगर आवासीय व चंदपुरा आवासीय योजना के सपने दिखाए। यहां बिना भूमि रूपान्तरण के ही आवेदन ले लिए। दस हजार से अधिक लोगों ने आशियाने के सपने को पूरा करने के लिए आवेदन भी किए। लेकिन यूआइटी दो साल तक कोई भूखंड आवंटित नहीं दे सकी तो लोगों ने पैसे वापस लेने के लिए चक्कर लगाना शुरू कर दिया। इस बीच मामला न्यायालय तक भी पहुंच गया। अब ज्यादातर आवेदन राशि निकलवा चुके है। वहीं चंदपुरा आवासीय योजना के साथ सबलपुरा व्यावसायिक योजना का हश्र भी इसी तरह हुआ। पिछले दिनों यआइटी ने सांवली रोड व भढ़ाडर इलाके में किसानों की जमीन खरीदकर कॉलोनी बसाने की योजना बनाई। लेकिन लोगों के विरोध के बीच यह प्रस्ताव भी उलझ गया।
कोटा: 10365
उदयपुर: 8376
भीलवाड़ा: 6681
बीकानेर: 2851
श्रीगंगानगर: 27
अलवर: 2614
भरतपुर: 1143
सीकर: 511
आबू: 309
पाली: 178
बाड़मेर: 96
जैसलमेर: 45
सवाईमाधोपुर: 33
चित्तौडगढ़: 1249
सीकर यूआइटी 600 पट्टे भी जारी नहीं कर सकी