पति एंबुलेंस में देते हैं सेवा, ननिहाल रहते हैं बच्चे
चूरू निवासी सुमन के पति विनोद चौधरी भी बांसवाड़ा में 108 एंबुलेंस में सेवा दे रहे हैं। ऐसे में मां व पिता दोनों से दूर बच्चे झुंझुनू में अपने ननिहाल रह रहे हैं। सीएचसी में प्रसव से लेकर कोरोना मरीजों के सर्वे व उन्हें दवा पहुंचाने के कार्यों में जुटी सुमन का कहना है कि बेटी अंशु तो फिर भी समझाने पर समझ जाती है, लेकिन तीन साल का मासूम धु्रव उन्हें वीडियो कॉल में भी देखते ही रोने लगता है। ऐसे में वह भी अपने आंसू नहीं रोक पाती है। बेटे को रोते नहीं देख पाने की वजह से वह जानबूझकर रोज फोन भी नहीं करती हैं। बकौल सुमन बच्चों से दूर रहने का बहुत दुख है, लेकिन मानवता पर संकट की इस घड़ी में सेवा का सुकून भी उतना ही है।
बिलखती है बेटी, याद आता है भाई
मीनाक्षी डमोलिया चार दिन पहले ही अपने बड़े भाई को कोरोना की वजह से खो चुकी है। लेकिन, ओर किसी बहन के भाई को बचाने की जिद में वह लगातार कोरोना मरीजों की सेवा में जुटी है। दादा- दादी के पास रहने को मजबूर 4 साल की बेटी भी वीडियो कॉल करते समय बिलखकर मीनाक्षी की आंखों को तर कर देती है। मगर, भाई की याद व बेटी से मिलने की तड़प के बीच भी वह सेवा भाव को कम नहीं होने दे रही। मीनाक्षी के पति राकेश डमोलिया भी झुंझुनू के गुढ़ागौडज़ी कस्बे में कोविड मरीजो की तीमारदारी में जुटे हैं।