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नवजात बच्चों की मां बच्चों को अंदर ही दूध पिला सकेंगी

locationसीकरPublished: May 15, 2019 06:40:20 pm

Submitted by:

Vinod Chauhan

सीकर का पहला कंगारू मदर केयर रूमजनाना अस्पताल में भर्ती गंभीर बच्चों को मिलेगा जीवनदान: हर माह दो दर्जन से ज्यादा बच्चे भर्ती होते है गहन चिकित्सा इकाई में

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नवजात बच्चों की मां बच्चों को अंदर ही दूध पिला सकेंगी

सीकर. शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए सीकर जिले के सबसे बड़े सरकारी जनाना अस्पताल में मदर कंगारू रूम बनाया गया है। मेट्रो सिटी के निजी अस्पतालों की तर्ज पर रूम में कंगारू केयर पद्धति के लिए विशेष प्रकार की कुर्सियां लगाई है। एयर कंडीशनर लगे इस कमरे में अब नवजात बच्चों की मां बच्चों को अंदर ही दूध पिला सकेंगी। बाल गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) का विकल्प बनी कंगारू मदर केयर पद्घति से हर मां को अवगत कराया जाएगा। रूम में शांत वातावरण और बच्चे की देखरेख के लिए टीवी स्क्रीन पर जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा नर्सिंग स्टॉफ भी वहां मौजूद रहेगा। गौरतलब है कि यह पद्घति समय से पूर्व जन्मे (प्री-मेच्योर डिलीवरी) बच्चे की जान बचाने में सहायक रही है।
इसलिए जरूरत
दक्षता मेंटर सावित्री भामू ने बताया कि कंगारू मदर केयर में शिशु को शरीर की गर्मी देकर उसका तापमान नियंत्रित रखा जा सकता है। समय पूर्व जन्मे बच्चों को सामान्य तापमान देने के लिए एसएनसीयू में 14 दिन तक भर्ती रखा जाता है। कंगारू मदर इस थेरैपी को मां खुद देकर अपने गंभीर बच्चे की जान बचा सकती है। बच्चे को छाती से लगाए रखने के कारण वजन भी बढ़ता है। इसके अलावा नवजात के शरीर का तापमान भी सामान्य बना रहता है। बच्चे को किस तरह हर समय अपनी छाती से लगाया जाए इसकी जानकारी नर्सिंग स्टॉफ देगा। इस दौरान चिकित्सा अधिकारी डॉ. बीएल राड, एसएनसीयू यूनिट हैड इंद्रा राठौड, संयुक्त निदेशक डॉ. रफीक, डॉ. अश्विनी सिंह, डॉ. एसएन बिजारणिया सहित स्टॉफ मौजूद रहा।
हर माह दो दर्जन से ज्यादा बच्चे
जनाना अस्पताल में चार जिले की प्रसूताएं इलाज के लिए आती है। अस्पताल में औसतन हर माह दो दर्जन से ज्यादा बच्चे कम वजन के होते हैं। चिकित्सकों की माने तो 1800 ग्राम से कम वजन का नवजात अधिक समय तक जीवित नहीं रह पाता है। इसके अलावा समय से पूर्व प्रसव होने के कारण नवजात के शरीर का तापमान कम रहता है। इस कारण नवजात पीलिया, संक्रमण और लर्निंग डिस्आर्डर जैसे गंभीर रोगों की चपेट में आ जाता है। वहीं लम्बे समय तक इन्क्यूबेटर पर रखने से परेशानी भी बढ़ जाती है।

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