सीकर में यहां होती है मोती की खेती ( Moti Ki kheti Sikar )
-सीकर जिले के दांतारामगढ़ उपखण्ड के गांव चैनपुरा के पास बगडिय़ा की ढाणी निवासी भगवान सहाय बगडिय़ा व हनुमान बगडिय़ा सीप से मोती तैयार करते हैं।
-ये अपने खेत में पांच हजार सीप का पालन कर रहे हैं, जिनसे 10 हजार मोती तैयार होंगे।
-सीप से तैयार किए गए मोती की अच्छी कीमत मिलती है। बाजार में एक मोती के भाव 300 से 3000 रुपए तक मिल जाते हैं।।
-जयपुर व अन्य जगह जौहरी इन मोतियों के सबसे बड़े खरीदार हैं। एक्पोर्ट बाजार में भी इनकी मांग है।
-ये किसान केरल व नागपुर से सीप मंगवाते हैं। एक सीप में दो मोती के बीज डालकर उन्हें विशेष रूप से तैयार पानी में छोड़ देते हैं।
-खाद व कीटनाशक छिड़काव के बाद मोती को सीप में करीब 24 घंटे तक रखना होता है।
-इसके बाद सीप को जालीनुमा स्टैण्ड में टांगकर पानी में लटकाया जाता है। सीप की लार से मोती पर चमक आ जाती है।
-मोती तैयार करने में करीब दस से बाहर महीने का वक्त लग जाता है।
-इन किसान भाइयों को दावा है कि इन्हें मोती की खेती से 50 लाख से एक करोड़ तक की आय होगी।
-बगडिय़ा किसान भाइयों ने सीप से मोती तैयार करने का प्रशिक्षण नागपुर से लिया।
नानी गांव में हो रही मशरूम की खेती ( Mushroom Ki kheti Sikar )
-सीकर जिला मुख्यालय के नजदीक के गांव नानी मेें किसान मोटाराम मशरूम की खेती कर रहे हैं।
-पिछले 25 साल से मशरूम की खेती कर रहे मोटाराम को राजस्थान के मशरूम मैन के नाम भी जाना जाता है।
-मशरूम से मशहूर हो चुके मोटाराम की मानें तो मशरूम की खेती से सालाना 15 लाख तक कमाई संभव है।
-मोटाराम ने अपने घर पर नर्सरी बना रखी है, जिसमें 16 प्रकार की उन्नत किस्मों के मशरूम तैयार किए जाते हैं।
-पांचवी तक पढ़े-लिखे मोटाराम को ये कमाल देखकर कृषि अधिकारी भी अचम्भित हैं।
-मोटाराम ने सोलन स्थित राष्ट्रीय मशरूम अनुसंधान केन्द्र से प्रशिक्षण लिया। फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
-मशरूम एक तरह से फफूंद है। इसे साधारण कमरों में 18 डिग्री तापमान के बीच रखना होता है।
-मोटाराम सोलन व सोनीपत से मशरूम के बीज (स्पर्म) लेकर आते हैं। गेहंू की तूड़ी व तापड़ से पिण्ड बनाते हैं।
-इस विशेष पिण्ड में रखे बीज से महज बीस दिन बाद मशरूम की पैदावार शुरू हो जाती है।