पलसाना निवासी महेन्द्रसिंह ने बताया कि वह बीपीएल श्रेणी के परिवार के रूप में जीवन यापन कर रहा है, उसका पड़ा बेटा मिठूसिंह दिव्यांग है। जब उसका पहली बार दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाया गया तो डॉक्टरों ने 60 प्रतिशत दिव्यांग होने का प्रमाण पत्र जारी किया। इसके बाद में जब प्रमाण पत्र को नवीनीकरण करवाया गया तो मिठूसिंह को देखकर उसकी दिव्यांगता को बढ़ाकर 80 प्रतिशत कर दिया गया, लेकिन पिछले दिनों जब महेन्द्रसिंह ने मिठूसिंह के प्रमाण पत्र के नवीनीकरण के लिए फिर से ऑनलाइन आवेदन किया तो प्रमाण पत्र मात्र 40 प्रतिशत का ही जारी कर दिया गया है।
इससे अब मिठूसिंह को सरकार की ओर से मिलने वाली कई योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। गौरतलब है कि मिठूसिंह चलने और बोलने में असमर्थ हैं। यहां तक कि खिलाने पिलाने सहित सभी नित्यकर्म भी परिजन ही करवाते हैं। ऐसे में प्रमाण पत्र में दिव्यांग मिठूसिंह की दिव्यांगता कम करने से उसके परिजनों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। हालांकि इसके बाद दिव्यांग के पिता महेन्द्रसिंह ने जब सीकर जाकर एसके अस्पताल में इसको लेकर शिकायत की तो वहां पर भी इसको लेकर उन्हें कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला।
इससे अब परिवार के लोगों के भी समझ नहीं आ रहा कि अब वो प्रमाण पत्र को दुरस्त करवाएं तो कैसे करवाएं। गौरतलब है कि महेन्द्रसिंह बीपीएल श्रेणी में जीवन यापन करता है और उसका बेटा मिठूसिंह जन्मजात दिव्यांग है।है।