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प्रदेश में यहां निगरानी के दावों पर भारी है लापरवाही, निजी अस्पतालों में जाने की मजबूरी

प्रदेश सरकार की ओर से सरकारी अस्पतालों में निशुल्क जांच योजना के प्रति मरीजों का रुझान बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक मशीन लगवाई जा रही है लेकिन हकीकत यह है कि निशुल्क उपचार की आस में आने वाले मरीज इन सुविधाओं से महरूम है। मरीजों को मशीन की उपलब्धता के बावजूद जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण निजी अस्पतालों व जांच केन्द्रों में हजारों रुपए खर्च करके जांच करवानी पड़ रही है।

सीकरAug 05, 2022 / 12:21 pm

Puran

प्रदेश में यहां निगरानी के दावों पर भारी है लापरवाही, निजी अस्पतालों में जाने की मजबूरी

प्रदेश में यहां निगरानी के दावों पर भारी है लापरवाही, निजी अस्पतालों में जाने की मजबूरी

प्रदेश सरकार की ओर से सरकारी अस्पतालों में निशुल्क जांच योजना के प्रति मरीजों का रुझान बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक मशीन लगवाई जा रही है लेकिन हकीकत यह है कि निशुल्क उपचार की आस में आने वाले मरीज इन सुविधाओं से महरूम है। मरीजों को मशीन की उपलब्धता के बावजूद जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण निजी अस्पतालों व जांच केन्द्रों में हजारों रुपए खर्च करके जांच करवानी पड़ रही है। हाल यह है कि सीकर जिले के सबसे बड़े कल्याण अस्पताल में एंडोस्कोपी और इको कार्डियोग्राफी जैसी लाखों रुपए की कीमत वाली इन मशीन को कम्पनी के कर्टन से भी बाहर नहीं निकाला गया। जिससे ह्दय और पेट संबंधी बीमारियों के मरीजों को जांच के अभाव में मरीजों को रेफर किया जा रहा है।

प्रबंधन चाहे तो मिल जाए सुविधा
मेडिकल कॉलेज के अधीन होने के बाद सरकार ने एंडोस्कोपी और इको कार्डियोग्राफी के लिए अत्याधुनिक मशीन तो भेज दी लेकिन प्रबंधन ने इन्हें इंस्टॉल तक नहीं करवाया। वहीं मरीजों को रही परेशानी को लेकर प्रशासन का तर्क है कि एंडोस्कोपी के लिए गेस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट होना जरूरी है लेकिन जब कल्याण अस्पताल में मरीजों की सोनोग्राफी बिना सोनोलॉजिस्ट के हो रही तो एंडोस्कोपी और इको कार्डियोग्राफी के लिए कुछ माह का प्रशिक्षण दिलवा कर मरीजों को ये निशुल्क जांच सुविधा उपलब्ध करवाई जा सकती है।
इसलिए जरूरी है
एंडोस्कोपी लम्बे समय से इलाज और दवा के सेवन के बाद भी मरीज को आराम नहीं मिलता है। ऐसी स्थिति में एंडोस्कोपी टेस्ट का सहारा लेते हैं। यह एक ऐसी मशीन होती है जो पतली नली जैसी दिखती है और इसके आगे एक छोटा सा कैमरा लगा होता है। डॉक्टर इसे मरीज के मुंह के माध्यम ये गले में डालते हैं और शरीर में क्या समस्या है ये देख पाते हैं। इसे करने में ज्यादा समय नहीं लगता है। एंडोस्कोपी मशीन टेस्ट करते समय ही मुंह से पेट के रास्ते जाने के दौरान ही यह रोग के बारे में बताने लगती है। इसके रिजल्ट के लिए किसी रिपोर्ट के आने का इंतजार नहीं करना पड़ता, बल्कि मरीज के शरीर में क्या चल रहा है वह साथ-साथ मॉनिटर पर दिखता है।

हार्ट रोगियों का जीवनदान
इको काडियोग्राफी दिल में बनावट सम्बन्धी परेशानी, सिकुड़न, छेद आदि का पता लगाने के लिए किया जाता है। इसमें ध्वनि तरंगों के जरिए एक चित्र बनता है। इस चित्र के आधार पर ह्दय की मौजूदा हाल के बारे में पता चल जाता है। जांच में हृदय के आसपास की थैली में संक्रमण के साथ-साथ हृदय के वाल्व में संक्रमण की पहचान हो जाती है। इसके आमतौर पर मायो कार्डियल इन्फार्कशन् (एमआई ) को दिल के दौरे के रूप में जाना जाता है, जिसके तहत दिल के कुछ भागों में रक्त संचार में बाधा होती है, जिससे दिल की कोशिकाएं मर जाती हैं।
इनका कहना है
इको काडियोग्राफी और एंडोस्कोपी शुरू करने के लिए प्रशिक्षित होना जरूरी है इस कारण अस्पताल से एक चिकित्सक का नाम मांगा है जिसे प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। अस्पताल के मेडिसिन विभाग के प्रभारी को निर्देश दिए गए हैं।
डा महेन्द्र कुमार, अधीक्षक, कल्याण अस्पताल

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