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नई शिक्षा नीति शिक्षा के निजीकरण का ड्राफ्ट है: उपेन्द्र शर्मा

locationसीकरPublished: Sep 11, 2020 04:57:57 pm

Submitted by:

Sachin

34 वर्ष बाद देश मे नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तैयार किया गया।108 पेज के इस ड्राफ्ट में विद्वान लोगों ने बहुत ही शानदार शब्दों का चयन कर जनमानस के पटल पर एक स्वादिष्ट चासनी का जायका प्रस्तुत किया है।

नई शिक्षा नीति शिक्षा के निजीकरण का ड्राफ्ट है: उपेन्द्र शर्मा

नई शिक्षा नीति शिक्षा के निजीकरण का ड्राफ्ट है: उपेन्द्र शर्मा

34 वर्ष बाद देश मे नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तैयार किया गया।108 पेज के इस ड्राफ्ट में विद्वान लोगों ने बहुत ही शानदार शब्दों का चयन कर जनमानस के पटल पर एक स्वादिष्ट चासनी का जायका प्रस्तुत किया है। और यही कारण है कि बड़े बड़े शिक्षाविद,और वाइस चांसलर प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में NEP पर प्रसंशा के पुल बांध रहे हैं।लेकिन इस ड्राफ्ट का बारीकी से अध्ययन करने पर हर चीज क्लियर होती है।इसका अंतिम सारांश सार्वजनिक शिक्षा को पूंजीपतियों के हवाले कर शिक्षा को बाजार की वस्तु बना कर निजीकरण के गहरे कुंए में धकेलना है।शिक्षा की गुणवत्ता के सवाल पर यदि बात करें तो ये नीति बच्चों के विकास को कुंद कर देगी।उदाहरण के लिए हम राजस्थान के परिप्रेक्ष्य में बात करें तो राज्य में 66 हजार स्कूलों में 34 लाख छात्र और 41लाख छात्राएं अध्ययनरत हैं।जिनमें 15 लाख बच्चे कक्षा एक व दो में पढ़ते हैं। 3 वर्ष से 8 वर्ष तक बच्चा LKG, UKG ,नर्सरी ,1st और 2nd क्लास, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के अधीन रहेंगी।बाल मनोविज्ञान ये कहता है कि 8 वर्ष तक बच्चे का विकास अधिक तीव्र गति से होता है।उस वक्त उसे बहुत ही ट्रेंड और बाल मनोयोगी शिक्षकों की आवश्यकता होती है ,लेकिन उसका महत्वपूर्ण भविष्य सस्ते श्रमिकों के अधीन होगा।15 लाख बच्चे आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के अधीन होंगे ,तो RTE के नॉर्म्स के आधार पर 50000 शिक्षकों के पद समाप्त हो जाएंगे।नई शिक्षा नीति में शिक्षकों का रिक्रूटमेंट नहीं होगा,शिक्षक हायर किये जायेंगे।ये हायर शब्द नई भर्ती के दरवाजे हमेशा के लिए बन्द कर देगा।5 वर्ष पश्चात इन शिक्षकों को फिर स्क्रीनिंग से गुजरना होगा।इस साक्षात्कार में अपने चहेतों का चयन होगा।शिक्षकों की स्थाई नियुक्ति नहीं होगी।स्थाई नियुक्ति नहीं होगी तो SI ,GPF और NPS की कटौती भी नहीं होगी।शिक्षकों का NPS हटाओ का नारा गायब हो जाएगा।शिक्षक एक सस्ता श्रमिक बनकर रह जायेगा।1968 से GDP का 6% शिक्षा पर खर्च करने की बात की जा रही है लेकिन शिक्षा पर 3% भी खर्च नहीं किया जाता है।इस ड्राफ्ट में GDP का 6%खर्च करने की बात की गई है, शिक्षकों की लम्बे समय से उठ रही स्थानांतरण नीति की भी बात की गई है, शिक्षकों के आवासीय क्वार्टर बनाने की भी बात की है।गुड़ में लपेटकर पॉइजन खिलाने की तरह बातें बहुत अच्छी की गई हैं।कक्षा 6 से इंटर्नशिप की बात की गई है, इतनी छोटी उम्र में उसे पूरी शिक्षा देने से पहले ही सस्ते श्रमिक तैयार करने की तरफ धकेलने का प्रयास है।अब तक बच्चे के सामने आर्ट,कामर्स,और साइंस तीन विकल्प चुनने का विकल्प था,अब 64 विषयों में चयन करना है, जो खिचड़ी बनकर रह जायेगी।नई शिक्षा नीति अतितोमुखी है भविष्य सिर्फ शिक्षा के व्यापारियों को मध्य नजर रखते हुए तय किया है।बालक के चिंतन के विकास की ओर ध्यान नहीं वरन शिक्षा को निजीकरण की ओर धकेलने का इस ड्राफ्ट में दु:साहस किया गया है।नई शिक्षा नीति बाल केंद्रित नहीं है,ये ड्राफ्ट यदि इसी हाल में लागू हो गया तो सार्वजनिक शिक्षा इतिहास की वस्तु बनकर पूर्णतः बाजार के हवाले हो जाएगी।अमीर और गरीब के लिए अलग अलग शिक्षा होगी।ये शिक्षा नीति विश्व गुरु बनने के लिए संवैधानिक और मानवीय मूल्यों की ओर अग्रसर नहीं,वरन पाखण्ड,अंधविश्वास, आर्थिक विषमता और असमानता की ओर धकेलने वाला ड्राफ्ट है।

लेखक राजस्थान शिक्षक संघ (शे) प्रदेश महामंत्री है।

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