सालों से उलझे हैं मिनी सचिवालय के पेच
पिछली कांग्रेस सरकार के समय मिनी सचिवालय की योजना बनी थी। इस दौरान जमीन वन विभाग के रेकार्ड में दर्ज होने की वजह से मामला लखनऊ मुख्य कार्यालय तक पहुंच गया था। इसके बाद भाजपा सरकार ने पीपीपी मॉडल पर मिनी सचिवालय की योजना बनाई। इसकी भी घोषणा हुई। अलवर जिले की निजी कंपनी से डीपीआर का काम होना था। इस बीच भाजपा भी सत्ता से बाहर हो गई।
इन विभागों को मिलेगी जगह
मिनी सचिवालय में जिला कलक्टर कार्यालय, अपर जिला कलक्टर, पुलिस अधीक्षक कार्यालय, कोष कार्यालय, सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग, सहायक निदेशक सांख्यिकी, जिला रसद अधिकारी, एसीएम प्रथम, द्वितीय, तृतीय, सीकर उपखंड अधिकारी, कृषि विभाग, मत्स्य विभाग, खनन, प्रदूषण नियंत्रण मंडल, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा विभाग माध्यमिक, प्रारंभिक शिक्षा, समसा, चिकित्सा विभाग, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज, साक्षरता एवं सूचना एवं जनसम्पर्क सहित अन्य विभागों को जगह मिलेगी।
घोषणा हुई तो ऐसे खुलेंगे राहत के दरवाजे...
1. एक जगह मिलेंगे सभी अफसर, नहीं लगाने होंगे चक्कर
सीकर जिला मुख्यालय पर ज्यादातर विभागों के कार्यालय कलक्ट्रेट से बाहर संचालित है। दूर-दराज से आने वाले फरियादियों को चक्कर लगाकर अलग-अलग कार्यालयों में जाना पड़ता है। मिनी सचिवालय बनने से आमजन को इस समस्या से राहत मिल सकेगी। वहीं सरकारी अधिकारियों को मॉनिटरिंग में आसानी होगी। वर्तमान में किराए के भवन में संचालित कार्यालयों को भी सरकारी भवन मिल सकेगा।
2. शहर में नहीं लगेगा जाम
शहर में जाम की बड़ी वजह कलक्टे्रट परिसर का बीच शहर में होना है। इस कारण शहर में दिनभर जाम के हालात बने रहते है। कलक्ट्रेट परिसर में पार्र्किंग के इंतजाम भी नाकाफी है। कई बार अधिकारियों के साथ कर्मचारी व फरियादियों को वाहन दूसरे स्थान पर पार्क करके आने पड़ते हैं।
इसलिए अब घोषणा जरूरी...
-मिनी सचिवालय का प्रस्ताव बनने के बाद न्याय विभाग ने अपने कार्यालयों के लिए बजट आवंटित करा लिया। मिनी सचिवालय के पास की प्रस्तावित जमीन पर काम भी शुरू हो गया है। मिनी सचिवालय बनने से कलक्टे्रट व कोर्ट आसपास रहेंगे।
-वर्तमान में कार्यालयों की मॉनिटरिंग का काम काफी लचर है। सभी कार्यालयों को एक भवन में लाना बेहद जरूरी है।
-पिछले दस वर्ष में मिनी सचिवालय के प्रोजेक्ट की लागत डेढ़ गुणा तक बढ़ गई। अब यदि इस प्रोजेक्ट में और देरी होती है तो लागत और बढ़ेगी।
सीकर सहित प्रदेश के 12 जिले भी दौड़ में
मिनी सचिवालय की योजना को सरकार पूरे प्रदेश में लागू कर सकती है। अलवर व करौली मॉडल के आधार पर पहले चरण में 12 जिलों में मिनी सचिवालय बनाने की योजना प्रस्तावित है। इसमें सीकर के अलावा जयपुर, गंगानगर, अलवर, प्रतापगढ़, जैसलमेर, सिरोही, जोधपुर, बांसवाड़ा, चूरू, टोंक और धौलपुर जिला शामिल हैं।